नई दिल्ली/गुवाहाटी: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने गुरुवार को घोषणा करते हुए कहा कि केंद्र सरकार (Central Government) ने एक महत्वपूर्ण कदम के तहत दशकों बाद नागालैंड (Nagaland), असम (Assam) और मणिपुर (Manipur) में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) के तहत अशांत क्षेत्रों को कम करने का फैसला किया है. शाह ने तीन अलग-अलग ट्वीट्स में बहुप्रतीक्षित निर्णय की घोषणा ऐसे समय पर की है, जब अधिकांश राजनीतिक दल (Political Parties) और गैर सरकारी संगठन अफस्पा को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं. पिछले साल 4 और 5 दिसंबर को नागालैंड के मोन जिले में सुरक्षा बलों द्वारा 14 लोगों के मारे जाने और 30 अन्य के घायल होने के बाद इसे निरस्त करने की मांग और तेज हो गई थी. लोकसभा में विपक्ष पर ऐसे गरजे अमित शाह, बोले- हम चुनाव से नहीं डरते
शाह ने ट्विटर पर घोषणा करते हुए कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में सरकार के लगातार प्रयासों से तथा पूर्वोत्तर में सुरक्षा स्थिति में सुधार के परिणामस्वरूप भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम के तहत दशकों बाद नागालैंड, असम और मणिपुर में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम के तहत अशांत क्षेत्रों को कम किया है."
उन्होंने कहा, "अफस्पा के तहत क्षेत्रों में कमी सुरक्षा की स्थिति में सुधार और प्रधानमंत्री द्वारा उत्तर पूर्व में स्थायी शांति लाने और उग्रवाद को समाप्त करने के लिए लगातार प्रयासों और कई समझौतों के कारण तेजी से विकास का परिणाम है."
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने दशकों बाद नागालैंड, असम और मणिपुर राज्यों में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम के तहत अशांत क्षेत्रों को कम करने का निर्णय लिया है.
एक अन्य ट्वीट में अमित शाह ने इसके लिए पीएम मोदी को धन्यवाद भी दिया। उन्होंने लिखा, "पीएम नरेंद्र मोदी को धन्यवाद. हमारा पूर्वोत्तर क्षेत्र, जो दशकों से उपेक्षित था, अब शांति, समृद्धि और अभूतपूर्व विकास के एक नए युग का गवाह बन रहा है। मैं इस महत्वपूर्ण अवसर पर पूर्वोत्तर के लोगों को बधाई देता हूं."
तीन पूर्वोत्तर राज्यों के अधिकारियों के अनुसार, नागालैंड में, सात जिलों के 15 पुलिस थानों के अधिकार क्षेत्र से अफस्पा को हटा दिया जाएगा.
केंद्र सरकार के नवीनतम निर्णय के बाद, मणिपुर में, छह जिलों के 15 पुलिस थाना क्षेत्रों को अशांत क्षेत्र अधिनियम से बाहर रखा जाएगा, जबकि असम में 23 जिलों से अफस्पा पूरी तरह से हटा दिया जाएगा और यह आंशिक रूप से एक जिले में लागू रहेगा.
अफस्पा पर नया फैसला एक अप्रैल से प्रभावी होगा.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र को चरमपंथ से मुक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
बयान के अनुसार, केंद्र सरकार समय-समय पर राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों के साथ बातचीत करती रही है. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तहत सुरक्षा स्थिति में सुधार के कारण, 2015 में त्रिपुरा और 2018 में मेघालय से अफस्पा के तहत अशांत क्षेत्र अधिसूचना को पूरी तरह से हटा दिया गया था.
असम में अशांत क्षेत्र अधिसूचना 1990 से लागू है. 2015 में, अफस्पा अरुणाचल प्रदेश के तीन जिलों, असम की सीमा पर अरुणाचल प्रदेश के 20 किमी बेल्ट और राज्य के 9 अन्य जिलों में 16 पुलिस थाना क्षेत्रों में लागू था.
इसे धीरे-धीरे कम किया गया है और अशांत क्षेत्र अधिसूचना, वर्तमान में केवल तीन जिलों में और अरुणाचल प्रदेश के एक अन्य जिले में दो पुलिस थाना क्षेत्रों में लागू है. अशांत क्षेत्र अधिसूचना 1995 से पूरे नागालैंड में लागू है.
बयान में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने अफस्पा को चरणबद्ध तरीके से वापस लेने के लिए इस संदर्भ में गठित समिति की सिफारिश को स्वीकार कर लिया है. मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह, त्रिपुरा के उनके समकक्ष बिप्लब कुमार देब और नागालैंड के समकक्ष नेफ्यू रियो ने सबसे पहले केंद्र की घोषणा का स्वागत किया.
सिंह ने ट्वीट किया, "माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को कोटि कोटि नमन. मणिपुर, असम और नागालैंड के लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफस्पा) के तहत अशांत क्षेत्रों को कम करने का निर्णय लिया है."
देब ने अपने ट्वीट में कहा, "मैं असम, नागालैंड और मणिपुर के लिए अफस्पा के तहत अशांत क्षेत्रों को कम करने के कदम का स्वागत करता हूं. इससे पूर्वोत्तर का और विकास सुनिश्चित होगा."
बता दें कि अफस्पा सेना और अन्य केंद्रीय अर्ध-सैन्य बलों को बिना किसी पूर्व सूचना या गिरफ्तारी वारंट के कहीं भी छापेमारी, अभियान चलाने, किसी को भी गिरफ्तार करने की अनुमति देता है. यह कानून पूर्वोत्तर के कई हिस्सों में लागू है.
रियो ने अपने ट्वीट में कहा, "नागालैंड, असम और मणिपुर राज्यों में अफस्पा के तहत अशांत क्षेत्रों को कम करने के लिए श्री नरेंद्र मोदी जी और अमित शाह जी के नेतृत्व में भारत सरकार का आभारी हूं. यह उत्तर पूर्व क्षेत्र के लिए स्थिरता, सुरक्षा और समृद्धि लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है."
पूर्वोत्तर क्षेत्र में त्रिपुरा एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां मई 2015 में मुख्यमंत्री माणिक सरकार के नेतृत्व वाली तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार ने आतंकी गतिविधियों पर काबू पाने के बाद अफस्पा को वापस ले लिया था. अफस्पा को 2018 में मेघालय के सीमावर्ती क्षेत्रों से भी हटा लिया गया था.
केंद्रीय गृह मंत्रालय समय-समय पर सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करते हुए अफस्पा की अवधि को छह महीने से बढ़ाकर एक साल कर देता है. नागालैंड विधानसभा ने पिछले साल दिसंबर में एक विशेष सत्र में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें केंद्र से पूरे पूर्वोत्तर और विशेष रूप से नागालैंड से अफस्पा को निरस्त करने की मांग की गई थी, ताकि नागा समुदाय से जुड़े मुद्दे के शांतिपूर्ण राजनीतिक समाधान खोजने के लिए चल रहे प्रयासों को मजबूत किया जा सके.