Karnataka: मदरसों में गणित, विज्ञान की पढ़ाई शुरू करने के फैसले पर हो सकता है विवाद

कर्नाटक में सत्तारूढ़ भाजपा ने यह पता लगाने की कवायद शुरू कर दी है कि मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को शिक्षा अधिकार कानून के तहत औपचारिक शिक्षा मिल रही है या नहीं. हालांकि, विपक्षी नेताओं द्वारा इसकी आलोचना की जा रही है, जो इसमें सांप्रदायिक साजिश का आरोप लगा रहे हैं.

(Photo Credit : Twitter)

बेंगलुरु, 25 अगस्त: कर्नाटक में सत्तारूढ़ भाजपा ने यह पता लगाने की कवायद शुरू कर दी है कि मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को शिक्षा अधिकार कानून के तहत औपचारिक शिक्षा मिल रही है या नहीं. हालांकि, विपक्षी नेताओं द्वारा इसकी आलोचना की जा रही है, जो इसमें सांप्रदायिक साजिश का आरोप लगा रहे हैं. UP में जाटलैंड से प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने साधे एक तीर से कई निशाने, कहा- 2024 में जीतेंगे सभी 80 सीटें

सूत्रों ने गुरुवार को कहा कि शिक्षा मंत्री बी. सी. नागेश के आदेश के बाद अधिकारियों ने मदरसों का दौरा करने की तैयारी शुरू कर दी है. मंत्री नागेश ने मदरसों में औपचारिक शिक्षा की आवश्यकता पर चर्चा की और मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों के माता-पिता द्वारा अपने बच्चों को आधुनिक शिक्षा देने की मांग का भी उल्लेख किया, ताकि उन्हें नौकरी मिल सके. हालांकि उन्होंने कहा कि सरकार ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है.

हालांकि यह अभ्यास शुरू में प्रगतिशील प्रतीत होता है, लेकिन इससे विवाद पैदा होने की भी प्रबल संभावना है. सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के राज्य महासचिव अफसार कोडलीपेट ने आईएएनएस को बताया कि मुस्लिम बच्चों को उनकी धार्मिक शिक्षा से वंचित करना केशव कृपा (बेंगलुरू में आरएसएस मुख्यालय) का एजेंडा है.

अफसार ने कहा, "मदरसा प्रणाली 1,400 साल पुरानी है. शुरूआत में छात्रों को घुड़सवारी, कलाकृतियां सिखाई जाती थीं और अब वे नौकरी उन्मुख शिक्षा दे रहे हैं. 990 से अधिक मदरसे वक्फ बोर्ड के तहत नामांकित हैं. वे गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान पढ़ा रहे हैं और यहां तक कि कंप्यूटर कक्षाएं भी दे रहे हैं."

उन्होंने कहा, "अगर उन्होंने मदरसों के बुनियादी ढांचे में सुधार के बारे में बात की होती तो हम भाजपा सरकार के कदम का स्वागत करते. यह सांप्रदायिक भाजपा द्वारा एक छिपे हुए एजेंडे को लागू करना है. कर्नाटक में इस साल 8,000 सरकारी स्कूल बंद कर दिए गए हैं और सरकार उस पर एक शब्द भी नहीं कह रही है."

इस बीच, शिक्षा विभाग के अधिकारियों को मदरसों का दौरा करने और यह पता लगाने के लिए कहा गया है कि छात्र नियम के अनुसार गणित और विज्ञान विषयों का अध्ययन करने के लिए नजदीकी स्कूलों में जा रहे हैं या नहीं? मदरसा के छात्रों को औपचारिक शिक्षा कितनी दी जा रही है, इसकी जानकारी विभाग के पास नहीं है.

शिक्षा मंत्री नागेश ने कहा था कि मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों के भविष्य को देखते हुए वर्तमान शिक्षा व्यवस्था के बारे में जानकारी एकत्र करने की आवश्यकता है.

शिक्षा विभाग का कहना है कि छात्रों के माता-पिता ने शिकायत की है कि उनके बच्चों को मदरसों में समकालीन औपचारिक शिक्षा नहीं मिल रही है. उन्होंने यह भी मांग की कि उनके बच्चे गणित और विज्ञान सीखें. उधर, शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने शिकायत की है कि मदरसों के अधिकारी सत्यापन की प्रक्रिया में सहयोग नहीं कर रहे हैं.

विभाग अधिकारियों को बिना किसी भ्रम और विवाद के मदरसों का दौरा करने और व्यवस्था का अध्ययन करने के लिए तैयार कर रहा है. रिपोर्ट तैयार होने के बाद शिक्षा मंत्रालय विशेषज्ञों और मदरसा अधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करने की योजना बना रहा है. शिक्षा मंत्री ने राज्य में मदरसों को चलाने के लिए अलग बोर्ड बनाने की इच्छा जताई है.

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