J&K: हाई लेवल मीटिंग के बाद बोले अमित शाह, कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले तंत्र को खत्म करना होगा
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नयी दिल्ली, 28 दिसंबर: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि जम्मू कश्मीर में आम लोगों के कल्याण में बाधक आतंकवादी-अलगाववादी अभियान को बढ़ावा देने वाले व मदद करने वाले तंत्र (इकोसिस्टम) को समाप्त करने की आवश्यकता है. Jammu में सुरक्षा बढ़ाई गई, मुठभेड़ में चार आतंकियों के मारे जाने के बाद राजमार्ग पर हाई अलर्ट

गृह मंत्री शाह ने सुरक्षा ग्रिड के कामकाज और जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा से जुड़े विभिन्न पहलुओं की यहां एक बैठक में समीक्षा की और आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति अपनाने के संबंध में निर्देश जारी किए.

एक आधिकारिक बयान में गृह मंत्री शाह के हवाले से कहा गया है कि आम आदमी की भलाई में बाधक आतंकवादी-अलगाववादी अभियान को सहायता, बढ़ावा देने और बनाए रखने वाले तत्व से युक्त पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट करने की आवश्यकता है.

गृह मंत्री ने जम्मू-कश्मीर में लागू किए जा रहे विभिन्न विकास कार्यों की भी समीक्षा की और परियोजनाओं को समय पर पूरा करने पर जोर दिया. उन्होंने अधिकारियों को विभिन्न योजनाओं के तहत लाभार्थियों की 100 प्रतिशत संतृप्ति प्राप्त करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने और समाज के हर वर्ग तक विकास के लाभों को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया.

बैठक में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, गृह मंत्रालय, अर्धसैनिक बलों, जम्मू-कश्मीर प्रशासन और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया. पहले से निर्धारित यह बैठक ऐसे दिन हुई जब जम्मू में सुरक्षा बलों ने एक मुठभेड़ में चार आतंकवादियों को मार गिराया. मारे गए आतंकवादी घुसपैठ कर पाकिस्तान से आए थे.

इस महीने की शुरुआत में, ऐसी खबरें थीं कि एक आतंकवादी समूह ने 56 कर्मचारियों की "हिट लिस्ट" जारी की थी और उसके बाद घाटी में कार्यरत कश्मीरी पंडित समुदाय के सदस्य दहशत में थे.

लश्कर-ए-तैयबा की शाखा द रेजिस्टेंस फ्रंट से जुड़े एक ब्लॉग ने 56 कश्मीरी पंडित कर्मचारियों की सूची प्रकाशित की, जिन्हें प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत भर्ती किया गया था.

आतंकवादियों द्वारा लक्षित हत्याओं के बाद, घाटी में कार्यरत कई कश्मीरी पंडित जम्मू चले गए हैं और वे स्थानांतरित किए जाने की मांग को लेकर 200 से अधिक दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार ने पिछले दिनों संसद को सूचित किया था कि 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद जुलाई 2022 तक जम्मू कश्मीर में पांच कश्मीरी पंडितों और 16 अन्य हिंदुओं और सिखों सहित 118 नागरिक मारे गए हैं. गृह मंत्री ने एक अलग बैठक में लद्दाख में कार्यान्वित विकास कार्यों की भी समीक्षा की.

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