UNRWA पर लगाए गए आराेेप गंभीर, पर भारत फिलिस्तीनियों को और अधिक सहायता पर कर रहा विचार: रुचिरा कंबोज

भारत ने फिलिस्तीनियों को सहायता प्रदान करने वाली संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूएनआरडब्ल्यूए (यूएन रिलीफ एंड वर्क्स एजेंसी) के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वह फिलिस्तीनियों को और अधिक सहायता प्रदान करने पर विचार कर रहा है.

Representative of India to the UN, Ruchira Kamboj

संयुक्त राष्ट्र, 5 मार्च : भारत ने फिलिस्तीनियों को सहायता प्रदान करने वाली संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूएनआरडब्ल्यूए (यूएन रिलीफ एंड वर्क्स एजेंसी) के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वह फिलिस्तीनियों को और अधिक सहायता प्रदान करने पर विचार कर रहा है.

संयुक्त राष्ट्र्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने सोमवार को कहा, ''यूएनआरडब्ल्यूए के खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर हैं.'' हालांकि उन्होंने कहा, हम यूएनआरडब्ल्यूए के सहायता अनुरोध पर भी सकारात्मक रूप से विचार कर रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इज़राइल द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच की घोषणा की है. इजराइल का आराेेप है कि यूएनआरडब्ल्यूए के कर्मचारियों ने हमास द्वारा इज़राइल पर पिछले साल 7 अक्टूबर के आतंकवादी हमले में भाग लिया था. यह भी पढ़ें : Bezos Surpasses Musk as World’s Richest Person: एलन मस्क को पछाड़ जेफ बेजोस बने दुनिया के सबसे अमीर शख्स, टेस्ला इंक के शेयरों में भारी गिरावट

उन्होंने संगठन के कामकाज की जांच के लिए पूर्व फ्रांसीसी विदेश मंत्री कैथरीन कोलोना की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की है. कंबोज ने महासभा अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस द्वारा यूएनआरडब्ल्यूए पर बुलाई गई एक विशेष बैठक में भाग लेते हुए कहा, "हम जांच के नतीजों को जानने के लिए उत्सुक हैं". फ्रांसिस ने चेतावनी दी कि तत्काल सहायता उपलब्ध कराए बगैर यूएनआरडब्ल्यूए अपना काम नहीं कर सकता. गौरतलब है कि अमेरिका के नेतृत्व में 16 देशों ने यूएनआरडब्ल्यूए पर लगे आरोपों के मद्देनजर उसे दी जाने वाली 400 मिलियन डॉलर से अधिक की सहायता राशि में कटौती कर दी है. कंबोज ने फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए काम करने वाली एजेंसी को भारत के समर्थन को दोहराया.

उन्होंने कहा, "फिलिस्तीनी शरणार्थियों के साथ अपनी एकजुटता के प्रतीक के रूप में भारत अपना वार्षिक योगदान 5 मिलियन डॉलर कर रहा है, जो 2018 में 1.5 मिलियन डॉलर था." उन्होंने कहा, 7 अक्टूबर को इज़राइल पर हमास के आतंकवादी हमले से शुरू हुए संघर्ष में बड़े पैमाने पर नागरिकों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों की जान चली गई और इसके परिणामस्वरूप एक खतरनाक मानवीय संकट पैदा हो गया. उन्होंने कहा, "स्थिति को और बिगड़ने से रोकने के लिए यह जरूरी है कि गाजा के लोगों को मानवीय सहायता तुरंत बढ़ाई जाए."

उन्होंने कहा कि संघर्ष का शांतिपूर्ण अंत केवल बातचीत के माध्यम से ही संभव है और दो-देश समाधान ही स्थायी शांति लाएगा. गौरतलब है कि यूएनआरडब्ल्यूए की स्थापना 1949 में इज़राइल की स्थापना के दौरान विस्थापित फिलिस्तीन शरणार्थियों की मदद के लिए महासभा द्वारा की गई थी. यह गाजा, वेस्ट बैंक, लेबनान, सीरिया और जॉर्डन में सक्रिय है और 5.9 मिलियन शरणार्थियों को भोजन सहायता और शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य सेवा तक प्रदान करता है.

गाजा में इसके कर्मचारियों की संख्या 13 हजार है और उनमें से 160 से अधिक हमास के हमले के बाद इजराइल के जवाबी हमले में मारे गए हैं. यूएनआरडब्ल्यूए के आयुक्त-जनरल फिलिप लेज़ारिनी ने महासभा को बताया कि कई देशों द्वारा अपने योगदान में कटौती के कारण एजेंसी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. उन्होंने कहा कि यूएनआरडब्ल्यूए को समाप्त करने के लिए जानबूझकर अभियान चलाया जा रहा है. लाज़ारिनी ने कहा, "इस अभियान के तहत एजेंसी की प्रतिष्ठा को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है."

इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने यूएनआरडब्ल्यूए को खत्म करने का आह्वान किया है और कहा है कि युद्ध के बाद इसे गाजा में संचालित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. इज़राइल के स्थायी प्रतिनिधि गिलाद एर्दान ने महासभा को बताया कि यूएनआरडब्ल्यूए की गाजा में भूमिका समाप्त हो गई है, और इसे तुरंत बदला जाना चाहिए. इज़राइल ने आरोप लगाया है कि यूएनआरडब्ल्यूए के 450 कर्मचारी हमास या अन्य आतंकवादी संगठनों के सदस्य थे.

Share Now

\