तेलंगाना: डॉक्टर्स ने कर दिया था ब्रेन डेड घोषित, रोती-बिलखती मां की चीख सुन बेटे की आंखो से बहने लगे आंसू, हुआ जिंदा

एक हफ्ते से ज्यादा समय तक कोमा में रहने के बाद 18 वर्षीय किरण गांधी को डॉक्टर्स ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया था. किरण के परिवार वाले उसके अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे. लड़के की मां ने देखा कि उनका बेटा जिंदा है. किरण तेलंगाना में सूर्यपेट जिले के पिल्लमरीरी गांव का एक कॉलेज छात्र है. किरण की मां सैदम्मा जब उनके पास बैठकर उसकी मौत का शोक मना रही थी तब उन्होंने किरण की आंखों की बगल से आंसू निकलते हुए देखा.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: File Photo)

एक हफ्ते से ज्यादा समय तक कोमा में रहने के बाद 18 वर्षीय किरण गांधी को डॉक्टर्स ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया था. किरण के परिवार वाले उसके अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे. लड़के की मां ने देखा कि उनका बेटा जिंदा है. किरण तेलंगाना में सूर्यपेट जिले के पिल्लमरीरी गांव का एक कॉलेज छात्र है. किरण की मां सैदम्मा जब उनके पास बैठकर उसकी मौत का शोक मना रही थी तब उन्होंने किरण की आंखों की बगल से आंसू निकलते हुए देखा. सैदम्मा ने मीडिया को बताया कि उसने तुरंत अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को सतर्क कर दिया. जिसके बाद लड़के की जांच करने के लिए. डॉक्टर को बुलाया गया "उन्होंने बताया कि मेरे बेटे की नब्ज अभी भी धड़क रही थी और वेंटिलेटर न हटाने के लिए हमारी सराहना की. बेटा जिन्दा है ये पता चलने के बाद उसे फिर से सूर्यपेट के अस्पताल में भर्ती कराया गया. अस्पताल के डॉक्टरों ने लड़के का इलाज हैदराबाद के चिकित्सा विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में किया.

इलाज के तीन दिन बाद किरण को होश आ गया. यहां तक ​​कि उसने धीमी आवाज में बातचीत करना शुरू कर दिया. उसके बाद बेटे को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. जिसके बाद परिवार ने डॉक्टर की सलाह के अनुसार इलाज जारी रखा है. बता दें कि 26 जून को लड़के को तेज बुखार और उल्टी की शिकायत थी. जिसके बाद उसे एक सरकारी अस्पताल में ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने बताया कि उसे गंभीर हेपेटाइटिस है. 28 जून को किरण की हालत गंभीर हो गई और डॉक्टरों की सलाह के बाद, उसे हैदराबाद के एक कॉर्पोरेट अस्पताल भेज दिया. वहां वो कोमा में चला गया और 3 जुलाई को डॉक्टरों ने हमें बताया कि उनके बेटे का ब्रेन डेड हो चुका है और उसके जिंदा रहने की कोई संभावना नहीं है. डॉक्टर्स ने उन्हें किरण को लाइफ सपोर्ट सिस्टम से हटा देने को कहा, लेकिन उसकी मां सैदम्मा ने ऐसा करने से मना कर दिया वो चाहती थी कि उनका बेटा घर में आखिरी सांस ले. लड़के की मां उसे देर रात लाइफ सपोर्ट सिस्टम के साथ घर ले आई. रिश्तेदार अंतिम संस्कार की तैयारी करने लगे, रात भर सब लोग रोते रहे.

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किरण की म्रत्यु के बैनर लगा दिए गए थे, तम्बू बांध दिया गया था, अंतिम संस्कार की चिता के लिए जलाऊ लकड़ी की व्यवस्था कर दी गई थी. लेकिन किरण की किस्मत पलट गई और वो जिन्दा हो गया. बता दें कि लड़के के पिता का निधन 2005 में बीमार होने के कारण हो गया था.

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