Teacher's Day 2020: मिलिए 16 वर्ष के 'नन्हे मास्टरजी' से, 8 वर्षों से पढ़ा रहे हैं गरीब बच्चों को
लखनऊ के रहने वाले आनंद कृष्ण मिश्रा, जो अभी कक्षा 12 में पढ़ रहे हैं, मात्र में 16 वर्ष की उम्र में 'मास्टरजी' बन गए हैं. ये वो मास्टरजी हैं, जो पिछले 8 वर्षों से लखनऊ शहर व आस-पास के क्षेत्रों में रहने वाले गरीब व असहाय बच्चों को पढ़ा रहे हैं.
लखनऊ के रहने वाले आनंद कृष्ण मिश्रा, जो अभी कक्षा 12 में पढ़ रहे हैं, मात्र में 16 वर्ष की उम्र में 'मास्टरजी' बन गए हैं. ये वो मास्टरजी हैं, जो पिछले 8 वर्षों से लखनऊ शहर व आस-पास के क्षेत्रों में रहने वाले गरीब व असहाय बच्चों को पढ़ा रहे हैं. आनंद की इस क्लास नाम है बाल चौपाल और इस क्लास में केवल a, b, c, d... नहीं, बल्कि गणित, कंप्यूटर तक पढ़ाया जाता है. और यह चौपाल अब तक 180 से ज्यादा गांवों में लग चुकी है.
आनंद ने वर्ष 2012 में झुग्गियों में रहकर जीवन व्यतीत करने वाले बच्चों को साक्षर बनाने के लिये प्रयास शुरू किया जिसनें कुछ समय बाद "बाल चौपाल" का रूप ले लिया. आनंद प्रतिदिन अपनी व्यस्त दिनचर्या में से एक घंटा निकालते हैं और इन बच्चों को गणित, कंप्यूटर और अंग्रेजी पढ़ाते हैं. हालांकि कोरोना की वजह से बीते चार महीने से कक्षाएं बाधित हैं.
पिछले 8 वर्षों में आनंद अपनी बाल चौपाल के माध्यम से करीब 50,000 से अधिक कमज़ोर वर्ग के बच्चों को स्कूल जाने के लिये प्रेरित कर चुके हैं. साथ ही साथ बाल चौपाल के प्रयास से 858 बच्चों का स्कूल में दाखिला करवाया है. अपनी इस बाल चौपाल में आनंद बच्चों को पढ़ाने के अलावा उनकी मनोदशा और माहौल के बारे में भी जानने का प्रयास करते हैं.
प्रसार भारती से बातचीत में आनंद ने कहा कि उन्हें अपने माता पिता से यह प्ररेणा मिली. आनंद के पिता अनूप मिश्रा और मॉं रीना पांडेय दोनों उत्तर प्रदेश पुलिस में सब इंस्पेक्टर हैं. दरअसल शुरुआत से ही आनंद के माता-पिता गरीब परिवारों के बच्चों को पढ़ाने के लिए आर्थिक मदद करते आये हैं. उन्हीं से प्रेरित होकर आनंद ने अपने इस अभियान को शुरू किया और आज पूरे लखनऊ में छोटे मास्टरजी के नाम से जाना जाता है. हाल ही में लखनऊ मैनेजमेंट एसोसिएशन की ओर से आनंद को सम्मानित भी किया गया.
करंट अफैयर्स पर चर्चा करते हैं ग्रामीण बच्चे:
आनंद ने हाल ही में अपनी बाल चौपाल के अंतर्गत पेप टॉक शुरू की, जिसके तहत वो अलग-अलग गांवों में जाकर वहां बच्चों को एकत्र कर करंट अफेयर्स पर चर्चा करते हैं. पेप टॉक में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, आदि हर प्रकार के मुद्दे होते हैं. आनंद ने बताया कि अब तक करीब 70 गांवों में पेप टॉक का आयोजन वे कर चुके हैं.
खास बातचीत में आनंद ने बताया कि जब वो क्लास 4 में पढ़ रहा था तब वो घूमने के लिये पुणे गया. घृषणेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन के दौरान उसने देखा कि एक बच्चा आरती के समय मंदिर में पढ़ रहा है और आरती के वक़्त वो सबसे आगे खड़ा होकर आरती को लीड करता है. आरती खत्म होने का बाद मंदिर के बाहर वो फिर से पढ़ने लगता है. आनंद उस बच्चे से प्रेरित हुए और अपने माता-पिता से उसके बारे में चर्चा की. और देखते ही देखते अपने माता-पिता के मार्गदर्शन में आनंद ने इस अभियान को शुरू कर दिया.
बाल चौपाल के लिये आनंद को भूटान के पूर्व शिक्षा मंत्री ठाकुर एस पोड़ियाल द्वारा वर्ष 2019 में एल एम ए अवॉर्ड दिया गया. वर्ष 2015 में यूथ आइकॉन अवार्ड भी मिल चुका है.