दिल्ली का बॉस कौन? आज फैसला सुनाएगी सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ
दिल्ली आम आदमी पार्टी की सरकार की तरफ से पी चिदंबरम, गोपाल सुब्रह्मण्यम, राजीव धवन और इंदिरा जयसिंह जैसे दिग्गज वकीलों ने दलीलें रखीं थी
नई दिल्ली. देश की राजधानी में कौन होगा सबसे मजबूत इस पर आज फैसला आ सकता है. इस फैसले के बाद दिल्ली में एलजी की हद तय हो जाएगी. इस मामले की एक महीने तक चली सुनवाई के बाद संविधान पीठ ने पिछले साल 6 दिसंबर को सुनवाई पूरी कर फैसला अपने पास सुरक्षित रख लिया था. बता दें कि वहीं इस मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा समेत पांच जजों की संविधान पीठ का फैसला आएगा.
दिल्ली हाई कोर्ट ने 4 अगस्त 2016 को एक फैसला सुनाते हुए कहा था कि दिल्ली एक केंद्र शासित राज्य है. जिसके कारण यहां के हर फैसले पर राज्यपाल की मंजूरी जरूरी है. वहीं हाई कोर्ट के इस फैसले को दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. दिल्ली सरकार ने अपने दलील में कहा था कि दिल्ली की सरकार एक लोकतांत्रिक तरीके चुनी गई है. ऐसे में सरकार के पास भी कुछ अधिकार होना चाहिए.
इस मामले में दिल्ली आम आदमी पार्टी की सरकार की तरफ से पी चिदंबरम, गोपाल सुब्रह्मण्यम, राजीव धवन और इंदिरा जयसिंह जैसे दिग्गज वकीलों ने दलीलें रखीं थी. महज 15 दिनों की सुनवाई के बाद ही इस फैसले को 6 दिसंबर को अपने पास सुरक्षित रख लिया था. गौरतलब हो कि दिल्ली में केजरीवाल की सरकार और एलजी के अक्सर विवाद दिखाई दिया है.
AAP ने दिल्ली को पूर्ण राज्य के दर्जे के लिए शुरू किया अभियान
दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने एक सभा कर दिल्ली को पूर्ण राज्य के दर्जे की अपनी मांग को लेकर अभियान शुरू किया है. आप संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 3 जुलाई को एक कार्यक्रम में हजारों पार्टी समर्थकों, मंत्रियों और विधायकों को संबोधित करते हुए कहा कि यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2019 के आम चुनाव से पहले दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के अपने वादे को पूरा कर देते हैं, तो उनकी पार्टी एक बार फिर राष्ट्रीय राजधानी की सातों सीटों पर जीत दर्ज कराएगी. यदि वह अपना वादा पूरा नहीं करते हैं तो अगले चुनाव में उन्हें खाली हाथ रह जाने के लिए तैयार रहना चाहिए.