SC On Industrial Liquor: सुप्रीम कोर्ट ने औद्योगिक शराब को माना नशीली शराब, राज्य सरकारों को मिला टैक्स लगाने का अधिकार

अब राज्य सरकारें औद्योगिक शराब को भी नियंत्रित कर सकेंगी और उस पर टैक्स भी लगा सकेंगी. यह फैसला न केवल शराब की बिक्री को प्रभावित करेगा, बल्कि इससे लोगों की सेहत की सुरक्षा भी होगी.

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में एक बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा है कि 'औद्योगिक शराब' को 'नशीली शराब' माना जाएगा, और इसलिए राज्य सरकारें इसे टैक्स कर सकती हैं.

क्या है यह फैसला? 

कोर्ट ने बताया कि नशीली शराब का मतलब केवल वो शराब नहीं है जिसे पीने के लिए बनाया गया है. इसका मतलब है वो सभी शराबें जो किसी भी तरह से लोगों की सेहत को नुकसान पहुंचा सकती हैं. इस फैसले से यह साफ हुआ है कि औद्योगिक शराब, जो कि आमतौर पर उद्योगों में इस्तेमाल होती है, उसे भी नशीली शराब के श्रेणी में रखा जाएगा.

पहले का फैसला क्या था? 

1990 में एक मामले में (सिंथेटिक्स एंड केमिकल्स बनाम राज्य उत्तर प्रदेश) कोर्ट ने कहा था कि "नशीली शराब" सिर्फ पीने लायक शराब को ही कहा जा सकता है, और राज्य औद्योगिक शराब पर टैक्स नहीं लगा सकते. लेकिन अब इस नए फैसले में कोर्ट ने उस पुराने फैसले को गलत बताया है.

राज्य सरकारों का क्या कहना है? 

राज्य सरकारों का कहना है कि औद्योगिक शराब पर टैक्स लगाना बहुत जरूरी है ताकि वे लोगों की सेहत पर ध्यान रख सकें. अब इस नए फैसले से उन्हें औद्योगिक शराब पर कर लगाने का अधिकार मिल गया है.

अलग राय 

इस मामले में न्यायमूर्ति नागरथना ने एक अलग राय रखी, जिसका मतलब है कि उन्होंने इस फैसले से असहमत होकर कुछ अलग कहा.

यह फैसला दिखाता है कि सर्वोच्च न्यायालय लोगों की सेहत को कितना महत्व देता है. अब राज्य सरकारें औद्योगिक शराब को भी नियंत्रित कर सकेंगी और उस पर टैक्स भी लगा सकेंगी. यह फैसला न केवल शराब की बिक्री को प्रभावित करेगा, बल्कि इससे लोगों की सेहत की सुरक्षा भी होगी.

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