बेंगलुरु डिटेंशन सेंटर में 4 साल बिताने के बाद पाकिस्तान लौटीं सुमायरा
बेंगलुरू के एक डिटेंशन सेंटर में चार साल से कैद पाकिस्तानी महिला सुमायरा रहमान आखिरकार अपनी चार साल की बेटी सना फातिमा के साथ घर लौट आई है.
इस्लामाबाद, 27 मार्च : बेंगलुरू के एक डिटेंशन सेंटर में चार साल से कैद पाकिस्तानी महिला सुमायरा रहमान आखिरकार अपनी चार साल की बेटी सना फातिमा के साथ घर लौट आई है. पीएमएल-एन के सीनेटर इरफान सिद्दीकी, (जिन्होंने पिछले हफ्ते कहा था कि भारतीय अधिकारियों ने सुमायरा की रिहाई के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं) ने यहां पत्रकारों से बात करते हुए यह खुलासा किया.
भारतीय अधिकारियों ने सुमायरा और उनकी बेटी को वाघा सीमा पर पाकिस्तानी अधिकारियों को सौंप दिया. पाकिस्तानी उच्चायोग के अधिकारी सुमायरा के साथ बेंगलुरु से वाघा बॉर्डर तक गए. सुमायरा और उनकी बेटी को सभी कानूनी आवश्यकताओं को पूरा करने और आव्रजन (इमीग्रेशन) प्रक्रियाओं को पूरा करने में और चार दिन लगेंगे. डॉन न्यूज ने सिद्दीकी के हवाले से कहा, "(आव्रजन प्रक्रिया) के बाद वह जहां जाना चाहें वहां जाने के लिए स्वतंत्र होंगी."
उन्होंने नई दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग के अनुरोध पर आंतरिक मंत्रालय (एमओआई) द्वारा उनके लिए राष्ट्रीयता का प्रमाण पत्र जारी करने में विफल रहने के बाद सीनेट सत्र के दौरान भारत में सुमायरा की नजरबंदी का मुद्दा उठाया था. पाकिस्तानी मूल की महिला सुमायरा कतर में बस गई थीं. 2017 में, उन्होंने अपने माता-पिता की सहमति के खिलाफ मोहम्मद शहाब नाम के एक भारतीय मुस्लिम व्यक्ति से शादी की थी. यह भी पढ़ें : Mann Ki Baat: पीएम ने कहा- भेदभाव, असमानता के खिलाफ ज्योतिराव फुले और अम्बेडकर ने लगातार लड़ाई लड़ी
शहाब उसे भारत ले गए, जहां दंपति बस गए. हालांकि वीजा खत्म होने के बाद उन्हें पति के साथ जेल भेज दिया गया था. बाद में, भारतीय अधिकारियों ने उनके पति को रिहा कर दिया, लेकिन उन्हें जेल में रखा, जहां उन्होंने अपनी बेटी को जन्म दिया. डॉन ने यह जानकारी दी. 2018 में, पाकिस्तान उच्चायोग को सुमायरा को कांसुलर एक्सेस दिया गया था.
उनसे मिलने के बाद उच्चायोग के कर्मचारियों ने उनकी राष्ट्रीयता की पुष्टि करने के लिए इस्लामाबाद में एमओआई को एक पत्र लिखा. हालांकि, मंत्रालय ने पत्र की अनदेखी की. सुमायरा ने चार साल भारतीय जेल में बिताए. उन्होंने भारत सरकार को 10 लाख रुपये का जुर्माना भी दिया, जो उन्होंने दान से जमा किये थे. बाद में, भारतीय अधिकारियों ने उन्हें एक डिटेंशन सेंटर में रखा. एक मानवाधिकार वकील, सुहाना बिस्वा पटना ने सुमायरा का मामला उठाया था.