औरंगाबाद: सोशल मीडिया पर ‘मी टू’ अभियान के तहत हर रोज नए खुलासे हो रहे है. दुनियाभर से यौन उत्पीड़न का शिकार हुई महिलाएं अपने अनुभवों को सार्वजनिक तौर पर साझा कर रही है. इस बीच शिवसेना के एक नेता ने इस अभियान की आलोचना करते हुए इसे महिलाओं के लिए नुकसानदायक करार दिया है. शिवसेना के औरंगाबाद से विधायक संजय शिरसाट के मुताबिक यह अभियान केवल सुशिक्षित महिलाओं के लिए हथियार का काम कर रही है, जिसकी वजह से महिलाओं को नौकरियां कम मिलेगी.
मंगलवार को औरंगाबाद के डॉ बाबासाहेब अंबेडकर रिसर्च सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम में विधायक संजय शिरसाट ने कहा 'कोई महिला पांच साल बाद शिकायत दर्ज करेगी, इस डर से ही कोई महिलाओं को नौकरी नही देगा.' उन्होंने आगे कहा कि ग्रामीण इलाकों की महिलाओं का भी शोषण किया जाता है. लेकिन उन्हें इस अभियान के बारे में कुछ नहीं पता. इसलिए ऐसे अभियान से महिलाओं का सशक्तिकरण नहीं होता है. उलट इससे महिलाओं को नौकरी नहीं दी जाएगी.
अपने भाषण के जरिए शिरसाट ने पूछा कि “बच्चों को संभालना, उनको अच्छे संस्कार देना और अपना संसार अच्छी तरीके से संभालना ये महिलाओं की जिम्मेदारी होती है. लेकिन अभी कोई भी बता नही सकता कि महिलाएं किसी पर क्या आरोप लगा सकती हैं. अगर एक विवाहित महिला को उसके पति ने नई साड़ी खरीद कर नहीं दी तो क्या वे अपने पति के खिलाफ भी ‘मी टू’ अभियान में कहेगी?'
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बता दें कि शिवसेना ने ‘मी टू’ अभियान के जरिए यौन उत्पीड़न का आरोप झेल रहे पूर्व केन्द्रीय मंत्री एम जे अकबर के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर मोदी सरकार को कई बार आड़े हाथो लिया था. भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी दल शिवसेना ने केन्द्र पर कटाक्ष करते हुए कहा कि महिलाओं से दुर्व्यवहार करने वाले लोग कैबिनेट में बैठे हैं.
शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा था, ‘‘बीजेपी ने सभी को रोटी, कपड़ा और मकान तथा ‘नैतिक देश’ बनाने का वादा किया था. लेकिन महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करने वाले लोग कैबिनेट में हैं और शराब को प्रोत्साहित करने के लिए फैसले किये जा रहे हैं.’’
कई महिला पत्रकारों ने पूर्व संपादक और केन्द्रीय विदेश राज्यमंत्री अकबर पर आरोप लगाया था कि उन्होंने पत्रकार रहते हुए उनका यौन उत्पीड़न किया. जिसके बाद बुधवार को अकबर ने अपने पद से इस्तीफा दें दिया.