सबरीमाला मंदिर: द्वार खुलने से पहले सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, कई इलाकों में धारा 144 लागू
केरल की प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर मचे घमासान के बीच शुक्रवार से दो महीने का पर्व शुरू हो रहा है. इसी दिन दोबारा भगवान अय्यप्पा के दर्शन के लिए मंदिर के पट खुलने वाले है. लेकिन इससे पहले प्रशासन ने सूबे को रण क्षेत्र बनने से रोकने के लिए कमर कस ली है.
तिरुवनंतपुरम: केरल की प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर मचे घमासान के बीच शुक्रवार से दो महीने का पर्व शुरू हो रहा है. इसी दिन दोबारा भगवान अय्यप्पा के दर्शन के लिए मंदिर के पट खुलने वाले है. लेकिन इससे पहले प्रशासन ने सूबे को रण क्षेत्र बनने से रोकने के लिए कमर कस ली है. इसलिए केरल के कई इलाकों में आधी रात से 22 नवंबर तक धारा 144 लागू कर दी है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस दों महीने के दौरान करीब 21 हजार पुलिसकर्मी सुरक्षा व्यवस्था के लिए तैनात किए जाएंगे. इसके साथ ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के लिए आईजी और डीआईजी रैंक के अधिकारियों को नियुक्त किया गया है. इस दौरान कुल चार चरणों में 21 हजार पुलिसकर्मी सुरक्षा में लगाए जाएंगे. पहला चरण 16 नवंबर को शुरू हो रहा है जिसमें करीब 5200 पुलिसकर्मी तैनात होंगे. इसके बाद 30 नवंबर से दूसरा चरण शुरू होगा. यह तैनाती 16 जनवरी को पर्व समाप्ति तक की जाएगी.
केरल के डीजीपी लोकनाथ बेहरा ने गुरूवार को कहा कि सबरीमाला मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को दर्शन के बाद रात में मंदिर परिसर में ठहरने की इजाजत नहीं दी जाएगी. उन्होंने कहा कि पिछले साल की तुलना में मंदिर और आसपास पुलिस की मौजूदगी दोगुना कर दी गई है.
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गौरतलब हो कि सबरीमाला में स्थित भगवान अय्यप्पा के मंदिर में महिलाओं को प्रवेश के लिए आयु प्रमाणपत्र दिखाना पड़ता है. इस मंदिर में 10 वर्ष से 50 वर्ष तक की महिलाओं को प्रवेश नहीं दिया जाता. दरअसल महिलाओं के उस समूह को मंदिर में प्रवेश से रोका जाता है जिन्हें माहवारी होती है. हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने 28 सितंबर को एक आदेश में इस प्रथा को समाप्त कर दिया.
इसके बावजूद पिछले महीने मंदिर के द्वार खुलने के बाद भी कोई महिला दर्शन नहीं कर पाई थी. पूरा मंदिर युद्धस्थल के रूप परिवर्तित हो गयाथा. मंदिर के पुजारी तंत्री ने दर्शन से प्रतिबंधित आयु वर्ग की महिलाओं द्वारा मंदिर में प्रवेश की कोशिश करने पर सबरीमाला मंदिर के द्वार बंद करने की धमकी भी दी थी.
बता दें कि इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन और अन्य ने इस प्रथा को चुनौती दी थी. उन्होंने याचिका में कहा है कि यह प्रथा लैंगिक आधार पर भेदभाव करती है, इसे खत्म किया जाना चाहिए. वहीँ केरल सरकार ने भी मंदिर में सभी महिलाओं के प्रवेश की वकालत की थी.