मुंबई: महाराष्ट्र के नासिक (Nashik) की यशवंतराव चव्हाण ओपन यूनिवर्सिटी (YCMOU) पाठ्यक्रम में शामिल एक किताब में स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर उर्फ वीर सावरकर (Veer Savarkar) को हिंदुत्व विचारधारा वाले कट्टरपंथी और आतंकवादी (Terrorist) किस्म का व्यक्ति बताया गया है. यूनिवर्सिटी द्वारा वीर सावरकर का इस तरफ से अपमाना करने को लेकर लोग इसका विरोध करना शुरू कर दिए हैं. विवादित किताब की इस सामग्री को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने आपत्ति जताया है. जिसके बाद यूनिवर्सिटी इस पूरे मामले पर माफी मांगते हुए किताब में संशोधन करते की बात कही है.
यूनिवर्सिटी के जिस किताब का विरोध हो रहा है. वह बीए सेकंड ईयर की इतिहास की किताब है. जो मराठी भाषा में है. इस किताब में एक चैप्टर है, 'दहशतवादी क्रांतिकारी आंदोलन' जो 1885 से शुरू हुए भारतीय संघर्ष के बारे में बताया गया है. इसमें वीर सावरकर से लेकर वासुदेव बलवंत फड़के,लाला हरदयाल, रास बिहारी बोस, पंजाब के रामसिंह कुका, जैसे क्रांतिकारियों के नाम शामिल हैं. यह भी पढ़े: जम्मू विश्वविद्याल के प्रोफेसर ताजुद्दीन ने शहीद भगत सिंह को बताया आतंकी, विद्यार्थियों में फैला रोष
इस किताब में के माध्यम से छात्रों को बताया गया है कि महाराष्ट्र और देश के दूसरे हिस्सों में आंतकवाद और कट्टरवाद 19वीं शताब्दी के के समय फैला हुआ था. जिस किताब में सावरकर का विवरण और परिचय देते हुए चैप्टर के अंत में एक प्रश्न है, 'दहशतवादी क्रांतिकारी आंदोलन में वीर सावरकर की क्या भूमिका थी?' इसके जवाब में दिया गया है कि सावरकर एक 'आतंकवादी' थे.
एबीवीपी ने कहा यूनिवर्सिटी छात्रों को गलत इतिहास पढ़ा रही है
इस किताब की विवादित सामग्री को लेकर एबीवीपी के महानगर मंत्री वैभव बावनकर ने कहा है कि देश की आजादी के लिए जिन क्रांतिकारियों ने अपना बलिदान दिया, उन्हें दहशतवादी बताना गलत है. ऐसा करके यूनिवर्सिटी छात्रों को गलत इतिहास पढ़ा रही है. वहीं अपने सफाई में यूनिवर्सिटीवीसी डॉ. नारायण मेहरे ने कहा किताब की विवादित सामग्री बदली जा रही है. लेकिन उन्होंने अपने सफाई में यह भी कहा है कि किताब के पाठ्क्रम में स्पष्ट रूप से सावरकर का नाम नहीं लिया गया है.