यूपी के सहारनपुर में मुस्लिम राजपूत महापंचायत का ऐतिहासिक फैसला, शादियों में सादगी को प्राथमिकता, फिजूलखर्ची और पुरानी रस्मों पर रोक
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उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में मुस्लिम राजपूत वेलफेयर एसोसिएशन ने समाज में व्याप्त फिजूलखर्ची को रोकने और सादगी को बढ़ावा देने के लिए बड़ा फैसला लिया है. जिस फैसले का लोग तारीफ कर रहे है.  एक दिन पहले गुरुवार को महापंचायत की बैठक में में शादियों और सामाजिक रीति-रिवाजों में सुधार के लिए कई अहम निर्णय लिए गए. इस दौरान शादियों में अनावश्यक खर्च, दिखावा और पुरानी रस्मों पर रोक लगाने का फैसला किया गया.

शादियों में सादगी को प्राथमिकता, दिखावे पर रोक

महापंचायत ने शादियों को सादगी के साथ संपन्न करने पर जोर दिया. इसके तहत डीजे, डांस, गाना-बजाना और किसी भी प्रकार के दिखावे पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया. शादी के निमंत्रण पत्रों पर होने वाले खर्च को कम करने के लिए डिजिटल कार्ड और फोन कॉल के जरिए निमंत्रण देने का नियम बनाया गया. साथ ही, जूता चुराई, सलामी, दहेज और मय्यत पर खाना जैसी परंपराओं को पूरी तरह बंद करने का ऐलान किया गया.

महापंचायत की बैठक में यह भी निर्णय लेते हुए सख्त चेतावनी दी गई है  कि यदि कोई  इन नियमों का उल्लंघन करता है तो उसे सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा.

बारात और विवाह प्रक्रिया में नए नियम

महापंचायत  की बैठक में यह भी तय किया कि बारात में केवल नजदीकी सगे-संबंधी ही शामिल होंगे. लड़की देखने जाने वालों की संख्या को 2 से 4 तक सीमित कर दिया गया है. चिट्ठी लेने की प्रक्रिया के लिए दो जिम्मेदार व्यक्तियों की नियुक्ति को अनिवार्य किया गया है.

इसके अलावा, मायके में रह रही बेटियों के वैवाहिक विवादों को पंचायत के माध्यम से सुलझाने का प्रावधान किया गया है.

सामाजिक सुधार की दिशा में एक मिसाल

मुस्लिम राजपूत वेलफेयर एसोसिएशन का यह प्रयास सामाजिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इन फैसलों का उद्देश्य समाज में सादगी को बढ़ावा देना, आर्थिक बोझ को कम करना और पुरानी रूढ़ियों को तोड़ना है। एसोसिएशन ने समाज के सभी सदस्यों से इन नियमों का पालन करने की अपील की है ताकि एक समृद्ध और सादगीपूर्ण सामाजिक व्यवस्था स्थापित की जा सके.