सबरीमाला विवादः प्रदर्शनकारियों ने महिला पत्रकारों पर बोला हमला, पुलिस ने भाजी लाठियां

केरल की प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर हिंसक प्रदर्शन जारी है. पंबा में प्रदर्शनकारियों ने बसों पर पथराव किया और मीडिया पर भी हमला किया है. प्रदर्शन प्रदर्शनकारियों ने मीडिया की गाड़ी और महिला पत्रकारों को निशाना बनाया.

सबरीमाला मुद्दे पर तनाव जारी (Photo Credit: Twitter)

पंबा:  केरल की प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर हिंसक प्रदर्शन जारी है. पंबा में प्रदर्शनकारियों ने बसों पर पथराव किया और मीडिया पर भी हमला किया है. प्रदर्शन प्रदर्शनकारियों ने मीडिया की गाड़ी और महिला पत्रकारों को निशाना बनाया. प्रदार्शनकारियों को हटाने के लिए पुलिस द्वारा बल प्रयोग भी किया गया है. इस बीच पत्थनमथिट्टा जिले में प्रदर्शन कर रहे करीब 50 लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है.

जानकारी के मुताबिक निलक्कल में पुलिस ने लाठी चार्ज किया है. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए. पांच दिन की मासिक पूजा के लिए बुधवार को अयप्पा स्वामी मंदिर खुलने से पहले उसके दोनों मुख्य रास्तों निलक्कल और पम्बा पर बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी एकत्र हो गए हैं.

वहीं भगवान अय्यप्पा के दर्शन करने आ रही आंध्रप्रदेश की पूर्वी गोदावरी जिला निवासी माधवी भारी विरोध के बाद अपने परिवार सहित बीच रास्ते से ही वापस लौट गई है. माधवी शीर्ष अदालत के फैसले के बाद सबरीमला पहाड़ी पर चढ़ने वाली पहली रजस्वला आयु वर्ग की महिला है.

सबरीमाला में स्थित भगवान अय्यप्पा के मंदिर में महिलाओं को प्रवेश के लिए आयु प्रमाणपत्र दिखाना पड़ता था. इस मंदिर में 10 वर्ष से 50 वर्ष तक की महिलाओं को प्रवेश नहीं दिया जाता था. दरअसल महिलाओं के उस समूह को मंदिर में प्रवेश से रोका जाता है जिन्हें माहवारी होती है. ऐसी मान्यता है कि बारहवीं सदी में बने इस मंदिर में महिलाओं को इसलिए नहीं जाने दिया जाता था क्योकि भगवान अयप्पा खुद ब्रहमचारी थे.

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इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन और अन्य ने इस प्रथा को चुनौती दी है. उन्होंने याचिका में कहा है कि यह प्रथा लैंगिक आधार पर भेदभाव करती है, इसे खत्म किया जाना चाहिए. वहीँ केरल सरकार ने भी मंदिर में सभी महिलाओं के प्रवेश की वकालत की है. जिसके बाद शीर्ष अदालत ने महिलाओं के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सभी उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने देने का आदेश दिया.

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