चुनावी राज्यों में सक्रिय हुआ आरएसएस से जुड़ा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, भाजपा को मुस्लिम वोट दिलाने की कवायद
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सहित पांचों चुनावी राज्यों में भाजपा का अल्पसंख्यक मोर्चा लगातार मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के वोटरों को लुभाने के लिए कई तरह के अभियान चला रहा है .
नई दिल्ली, 15 जनवरी : उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सहित पांचों चुनावी राज्यों में भाजपा का अल्पसंख्यक मोर्चा लगातार मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के वोटरों को लुभाने के लिए कई तरह के अभियान चला रहा है . लेकिन अब इन चुनावी राज्यों में भाजपा की नैया को पार लगाने के लिए आरएसएस से जुड़ा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच भी जोर-शोर से उतर गया है.
आईएएनएस से बात करते हुए मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक एवं मीडिया प्रभारी शाहिद सईद ने बताया कि मंच के 400 कार्यकर्ता उत्तर प्रदेश में भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर काम करेंगे. उन्होंने कहा कि मंच के ये कार्यकर्ता जनजागरण अभियान के तहत मुस्लिम मतदाताओं से संपर्क साध कर उन्हें मोदी और योगी सरकार की उपलब्धियों के बारे में बताएंगे. मंच ने चुनाव वाले अन्य 4 राज्यों में भी अपने कार्यकर्ताओं को उतारने की रणनीति बना ली है. यह भी पढ़ें : रेल हादसे में घायल के परिजनों को असम के गांव में मस्जिद से घोषणा करके ढूंढा गया
आपको बता दें कि , पांचों राज्यों के विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीति तैयार करने के लिए शुक्रवार को नई दिल्ली के इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर में मंच के पदाधिकारियों की महत्वपूर्ण बैठक हुई . मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संस्थापक एवं मुख्य सरंक्षक इंद्रेश कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में पांचों राज्यों को लेकर बुकलेट जारी किया गया. इस बुकलेट में केंद्र की मोदी सरकार के साथ-साथ संबधित राज्य सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए मुस्लिम मतदाताओं से भाजपा के पक्ष में वोट डालने की अपील की गई है.
आने वाले दिनों में मंच के कार्यकर्ता मुस्लिम मतदाताओं से मुलाकात कर उन्हें यह बताने की कोशिश करेंगे कि देश का मुसलमान भाजपा राज में ही सुरक्षित है. आंकड़ों के जरिए उन्हें यह समझाने की कोशिश की जाएगी कि आजादी के बाद से लेकर अब तक 99.99 प्रतिशत दंगे कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की सरकारों के दौरान ही हुए हैं. इसके साथ ही मंच के कार्यकर्ता मुस्लिम वोटरों को यह भी बताएंगे कि मोदी और भाजपा की राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजनाओं का सबसे ज्यादा लाभ भी मुसलमानों को ही हुआ है.