Raksha Bandhan 2024: बॉर्डर पर तैनात जवानों को मुस्लिम महिलाओं ने बांधी राखी, वीडियो में देखें सेना के प्रति प्यार और सम्मान

जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर के सोनि गांव में स्थानीय महिलाओं ने सीमा पर तैनात सेना के जवानों को राखी बांधी और उनके प्रति सम्मान व्यक्त किया.

(Photo : X)

Raksha Bandhan 2024: रक्षा बंधन का त्योहार हर साल भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने का अवसर लाता है, लेकिन इस बार इस पावन पर्व पर जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर के सोनि गांव में एक विशेष पहल देखने को मिली. सीमा पर तैनात हमारे जवानों को राखी और मिठाई देकर स्थानीय लोगों ने अपनी कृतज्ञता और सम्मान व्यक्त किया.

एक विशेष उत्सव

सोनि गांव, जो एलओसी (लाइन्स ऑफ कंट्रोल) के पास स्थित है, यहां रक्षा बंधन के दिन स्थानीय लोग अपने सैनिक भाईयों को राखी बांधने और मिठाई देने का अनूठा कदम उठाते हैं. इस गाँव में हर साल रक्षा बंधन पर विशेष उत्सव मनाया जाता है, जिसमें स्थानीय महिलाएँ और बच्चे मिलकर जवानों के साथ इस पर्व को मनाते हैं.

सैनिकों के प्रति सम्मान

रक्षा बंधन का पर्व केवल एक पारंपरिक अवसर नहीं है, बल्कि यह हमारे सैनिकों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता का प्रतीक भी है. सीमा पर तैनात जवान न केवल देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बल्कि वे त्यौहारों के समय भी अपने परिवारों से दूर रहते हैं. ऐसे में सोनि गांव के लोग उन्हें राखी बांधकर और मिठाई दे कर उन्हें यह एहसास कराते हैं कि वे उनकी सराहना और प्यार का हिस्सा हैं.

रक्षा बंधन के दिन, सोनि गांव में सजावट और खुशी का माहौल होता है. गांव के लोग जवानों के लिए विशेष मिठाई और राखी तैयार करते हैं. यह दृश्य बहुत ही हृदयस्पर्शी होता है जब जवान अपनी सीमाओं की सुरक्षा करते हुए भी इस त्योहार की खुशियों का हिस्सा बनते हैं. यह पहल न केवल सैनिकों के लिए, बल्कि पूरे गांव के लिए गर्व का विषय है.

इस अवसर पर स्थानीय लोग और जवान एक साथ खुशी मनाते हैं. राखी बांधने के बाद, जवानों को मिठाई वितरित की जाती है, जिससे दोनों पक्षों में एक विशेष संबंध स्थापित होता है. यह छोटी सी पहल, बड़ी भावनाओं और कृतज्ञता का प्रतीक है, जो यह दर्शाती है कि हमारे जवानों की सेवा और बलिदान को कितनी उच्च मान्यता दी जाती है.

रक्षा बंधन का यह विशेष पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह भाईचारे, सम्मान और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक भी है. सोनि गांव की यह पहल हमें यह सिखाती है कि त्योहारों को मनाने का तरीका केवल पारंपरिक नहीं होना चाहिए, बल्कि इसमें गहरी भावनाएँ और राष्ट्रीय कर्तव्य भी शामिल होना चाहिए.

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