राजस्थान सरकार राज्य में हैंडीक्राफ्ट सेक्टर को बढ़ाने में जुट गई है. राज्य सरकार के एक अधिकारी के अनुसार, राजस्थान सरकार अपनी "हस्तशिल्प नीति-2022" (Handicraft Policy-2022) के माध्यम से अगले पांच वर्षों में हस्तशिल्प क्षेत्र में 50,000 नौकरियां देने की योजना बना रही है. अधिकारी ने कहा कि नीति का उद्देश्य राज्य में कारीगरों और बुनकरों की स्थिति में सुधार करना और सामाजिक और आर्थिक विकास में उनका योगदान सुनिश्चित करना है. राज्य में लगभग 600,000 शिल्पकार और कारीगर हैं. Rajasthan Government Road Projects: राजस्थान में बनेगी शानदार सड़के, गहलोत सरकार ने 99.41 करोड़ किए मंजूर.
राजस्थान से साल 2020-21 में 6,205.32 करोड़ रुपये के हस्तशिल्प का निर्यात किया गया; इनके अलावा 4,067.36 करोड़ रुपये के रत्न एवं आभूषण, 5,729.29 करोड़ रुपये के वस्त्र, 1,764.40 करोड़ रुपये के रेडीमेड गारमेंट्स और 464.70 करोड़ रुपये के दरी/दरी या दरी भेजे गए. राज्य से हस्तशिल्प निर्यात लगातार बढ़ रहा है और इसे और बढ़ावा देने के लिए, राज्य सरकार द्वारा "राजस्थान हस्तशिल्प नीति 2022" शुरू की गई थी. यह नीति "क्लस्टर और शिल्प ग्राम" अवधारणा को शामिल करके विपणन, वित्तीय और सामाजिक सुरक्षा में भी सहायता करती है.
हस्तशिल्प के विकास एवं कारीगरों के उत्थान को ध्यान में रखते हुए पहली बार “राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना (RIPS)-2019” में हस्तशिल्प को “थ्रस्ट सेक्टर्स” में शामिल कर अतिरिक्त लाभ के लिए पात्र बनाया गया. राजस्थान की उद्योग मंत्री शकुंतला रावत ने कहा कि नीति का उद्देश्य हस्तशिल्प के उत्थान, पारंपरिक और विलुप्त कलाओं को पुनर्जीवित करने और रोजगार सृजन के लिए बेहतर विपणन व्यवस्था प्रदान करना है.
राजस्थान निर्यात संवर्धन परिषद (आरईपीसी) के उपाध्यक्ष महावीर शर्मा ने बताया, 'कारीगरों, कलाकृतियों, शिल्प और हस्तशिल्प से भरे राजस्थान जैसे राज्य के लिए एक विशिष्ट हस्तकला नीति एक स्वागत योग्य और उत्साहजनक कदम है. यह नई नीति, नई MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) और RIPS नीति के साथ मिलकर इस क्षेत्र को आगे ले जाने के लिए निर्माता और निर्यातकों को पर्याप्त प्रोत्साहन देती है.