अब सिर्फ बड़े स्टेशनों पर ही रेलवे लगाएगा स्केलेटर
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से मिले निर्देश के बाद रेलवे ने ज्यादा से ज्यादा स्टेशनों पर स्केलेटर की सुविधा प्रदान करने के अपने फैसले को बदल लिया है. अब उन्हीं स्टेशनों पर स्केलेटर की सुविधा होगी जहां यात्रियों की आवाजाही कम से कम एक लाख है, जबकि पहले यह सीमा 25,000 तय की गई थी.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से मिले निर्देश के बाद रेलवे ने ज्यादा से ज्यादा स्टेशनों पर स्केलेटर की सुविधा प्रदान करने के अपने फैसले को बदल लिया है. अब उन्हीं स्टेशनों पर स्केलेटर की सुविधा होगी जहां यात्रियों की आवाजाही कम से कम एक लाख है, जबकि पहले यह सीमा 25,000 तय की गई थी.
इस प्रकार, कई नए स्टेशनों पर स्केलेटरों की सुविधा नहीं हो पाएगी जबकि सभी बड़े स्टेशनों पर यह सुविधा पहले से ही मौजूद है. रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, "हालिया दिशानिर्देश के अनुसार, हम जरूरतों की समीक्षा कर रहे हैं और उसके अनुसार नए स्केलेटर लगाए जाएंगे."
स्टेशनों पर बेहतर सुविधा प्रदान करने के मकसद से रेलवे ने पहले वृद्ध व शारीरिक रूप से अशक्त लोगों के साथ साथ अन्य रेलयात्रियों के आवागमन सुचारु बनाने के लिए देशभर में करीब 2,500 स्केलेटर लगाने की घोषणा की थी.
एक स्केलेटर लगाने पर रेलवे को एक करोड़ रुपये की लागत आती है. रेलवे का अनुमान था कि बड़े पैमाने पर स्केलेटर लगाए जाने से इसकी लागत में कमी आएगी.
पहले की नीति के अनुसार, 25,000 यात्रियों के आवागमन वाले स्टेशनों पर स्केलेटर लगाए जाने के प्रावधान पर अमल करने से ज्यादा स्टेशनों का चयन किया जाता. इससे पहले आठ करोड़ से 60 करोड़ सालाना राजस्व वाले स्टेशनों पर इस सुविधा का प्रावधान था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में अप्रैल में की गई समीक्षा में बड़े पैमाने पर स्केलेटर लगाए जाने की योजना को लाभप्रद नहीं बताते हुए सिर्फ भीड़-भाड़ वाले बड़े स्टेशनों पर लगाए जाने की बात कही गई.
हालांकि राज्यों की राजधानियों और जोनल स्तर के स्टेशनों के मामले में स्केलेटर लगाना परिवर्तित मानकों का अपवाद हो सकता है, मगर उसके लिए भी प्रधानमंत्री या रेलमंत्री द्वारा घोषणा किए जाने पर ही स्केलेटर लगाए जा सकते है. इसके अलावा, संसदीय समिति या चुने गए प्रतिनिधि की विशेष मांग पर भी इसकी व्यवस्था हो सकती है.