8 अगस्त 1942 को शुरू हुआ था भारत छोड़ो आंदोलन, जानें कुछ अनसुनी बातें

देश के स्वतंत्रता संग्राम में 8 अगस्त के दिन का एक खास महत्व है. आज ही के दिन ब्रिटिश हुकूमत को जड़ से उखाड़ फेकने के लिए 'भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement) की शुरुआत की थी. महात्मा गांधी ने अंग्रेजों को भारत से निकालने के लिए कई अहिंसक आंदोलनों का नेतृत्व किया और इसी क्रम में उन्होंने आठ अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी.

आंदोलन की लहर के आगे ब्रिटिश सरकार की जड़ें हिल गई थी ( फोटो क्रेडिट- pixabay )

देश के स्वतंत्रता संग्राम में 8 अगस्त के दिन का एक खास महत्व है. आज ही के दिन ब्रिटिश हुकूमत को जड़ से उखाड़ फेकने के लिए 'भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement) की शुरुआत की थी. महात्मा गांधी ने अंग्रेजों को भारत से निकालने के लिए कई अहिंसक आंदोलनों का नेतृत्व किया और इसी क्रम में उन्होंने आठ अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी. महात्मा गांधी ( Mahatma Gandhi ) ने क्रिप्स मिशन की सफलता के बाद ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपना तीसरा बड़ा आंदोलन छेड़ने का फ़ैसला लिया था. जिसके बाद रतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बम्बई अधिवेशन में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. इसके बाद से ही ये आंदोलन व्‍यापक स्‍तर पर आरंभ किया गया.

कांग्रेस के इस सम्मेलन में महात्मा गांधी ने आधे घंटे से ज्यादा समय तक भाषण दिया था. इसी भाषण में उन्होंने नारा दिया था 'करो या मरो. यही कारण था कि भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान ‘भारत छोड़ो’ और ‘करो या मरो’ भारतीय लोगों का नारा बन गया. भारत छोड़ो आन्दोलन की शुरुवात 9 अगस्त 1942 को किया गया था. इस आंदोलन को अगस्त क्रांति (August Movement) के नाम सभी जाना जाता है. आंदोलन जन आंदोलन बनना शुरू हुआ वैसे ही अंग्रेजों ( British Rule of India) ने क्रांतिकारियों को पकड़ना शुरू कर दिया. वहीं महतमा गांधी, जवाहर लाला नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, समेत कई बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था.

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इस आंदोलन का एक मात्र मकसद था कि आंदोलन से ब्रिटिश सरकार से देश को मुक्त कराया जाए. आंदोलन के शुरुवात होते ही उसी रात देश के कई नेताओं को ब्रिटिश हुकूमत ने जेल में डाल दिया था. इसी दौरान सरकार ने जब अंग्रेजो ने आन्दोलन को दबाने के लिए लाठी और बंन्दूक का प्रयोग किया तो जनता भी हिंसक हो गई. रेल की पटरियां उखाड़ी गईं और स्टेशनों को आग के हवाले कर दिया गया.सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस आंदोलन में 940 लोग मारे गए थे, जबकि 60229 लोगों ने गिरफ्तारियां दी थी.

देशभर में इस व्यापक आंदोलन से अंग्रेजी शासन कांप उठी थी. उन्हें इस बात का आभास हो गया कि अब भारत में रहना उनका टिकना मुश्किल है. यही कारण था कि अंग्रेजों ने भारत को छोड़ने का फैसला किया. लॉर्ड वावेल की जगह लॉर्ड माउंटबेटन को फ़रवरी 1947 ई. में भारत का वायसराय नियुक्त किया गया. इसके बाद कई तरह के संघर्षों के बाद आखिरकार 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हो गया.

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