Project Zorawar: भारत को अब नहीं किसी की जरुरत, खुद बनाएगा हल्के वजन वाले 354 टैंक, रक्षा क्षेत्र का हो रहा स्वदेशीकरण
भारतीय सेना (Photo: PTI)

भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमा का एक बड़ा हिस्सा पहाड़ी इलाकों से जुड़ा हुआ है। ऐसे में सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इन स्थानों की सुरक्षा भी काफी अहम हो जाती है। पहाड़ी क्षेत्रों पर तैनात सुरक्षाबलों तक हथियार और रसद सामग्री की आसानी से पहुंच बनाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। इसके मद्देनजर पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ 30 महीने से अधिक समय से चल रहे टकराव के दौरान जरूरत को देखते हुए भारत अब खुद 'प्रोजेक्ट जोरावर' के तहत हल्के वजन वाले 354 टैंकों का निर्माण करेगा।

डीआरडीओ करेगा 354 टैंकों का निर्माण

आत्मनिर्भर रक्षा क्षेत्र के अंतर्गत इस मेगा स्वदेशी परियोजना में 59 लाइट टैंक अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) विकसित करेगा और शेष 295 टैंक सरकार की वित्त पोषित डिजाइन और विकास परियोजना के तहत निर्मित किए जाएंगे। इन टैंकों को लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में उच्च ऊंचाई वाले युद्ध क्षेत्रों के साथ-साथ कच्छ के रण जैसे नदी क्षेत्रों में हल्के टैंकों को तेजी से तैनात किया जा सकता है।

8 से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर होगा तैनात

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक भारत 354 लाइट टैंकों के लिए एक मेगा स्वदेशी अधिग्रहण परियोजना शुरू करने के लिए तैयार है। दरअसल, पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ मौजूदा टकराव के दौरान उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए हल्के वजन वाले टैंकों की जरूरत महसूस की गई है, ताकि इन्हें 8 से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर ले जाया जा सके। लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में उच्च ऊंचाई वाले युद्ध क्षेत्रों के साथ-साथ कच्छ के रण जैसे नदी क्षेत्रों में हल्के टैंकों को तेजी से तैनात किया जा सकता है। ये सभी टैंक हल्के होने के साथ-साथ बेहतर मारक क्षमता और सुरक्षा प्रदान करने वाले होंगे। डीआरडीओ का पहला लाइट टैंक प्रोटोटाइप 2023 के मध्य तक रोल आउट हो जाएगा।

आत्मनिर्भर रक्षा के लिए बड़ी पहल

प्रस्ताव के मुताबिक 25 टन से कम वजन वाले 354 लाइट टैंकों में से 59 डीआरडीओ बनाएगा। शेष 295 टैंक रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी) की 'मेक-1' श्रेणी में भारतीय उद्योग के लिए सरकार की वित्त पोषित डिजाइन और विकास परियोजना के तहत निर्मित किए जाएंगे। सेना ने मेक-1 श्रेणी के तहत निजी क्षेत्र से सभी 354 टैंकों का उत्पादन कराने की पुरजोर वकालत की थी लेकिन डीआरडीओ ने तर्क दिया कि उसका कॉम्बैट व्हीकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट पहले से ही निजी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी लार्सन एंड टुब्रो के साथ 'लीड सिस्टम इंटीग्रेटर' के रूप में एक लाइट टैंक प्रोटोटाइप विकसित करने के लिए काम कर रहा था।

सीमाओं पर बढ़ रही तैनाती

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद से जल्द ही लगभग 17,500 करोड़ रुपये की लागत से 'प्रोजेक्ट जोरावर' के तहत बख्तरबंद लड़ाकू वाहन के लिए एओएन (आवश्यकता की स्वीकृति) मिलने की उम्मीद है। पूर्वी लद्दाख में चीन से टकराव के बाद 12 लाख सैनिकों वाली मजबूत भारतीय सेना ने 40 से 50 टन वजन वाले रूसी मूल के टी-90 और टी-72 मुख्य युद्धक टैंक तैनात किए हैं। सेना ने चीन को चौतरफा घेरने के लिए एलएसी पर भीष्म टी-90, टी-72 अजय और मुख्य युद्धक टैंक अर्जुन भी तैनात कर रखे हैं।

क्या है प्रोजेक्ट जोरावर

प्रोजेक्ट जोरावर के तहत भारतीय सेना स्वदेशी लाइटवेट टैंक खरीदने की तैयारी कर रही है। इन टैंकों को पूर्वी लद्दाख में खतरों वाले इलाके में हल्के टैंकों को तैनात करने की योजना है। लाइट टैंक के इस प्रोजेक्ट का नाम जम्मू-कश्मीर रियासत के पूर्व कमांडर जोरावर सिंह के नाम रखा गया है। जोरावर सिंह ने 19वीं सदी में चीनी सेना को हराकर तिब्बत में अपना परचम लहराया था। प्रोजेक्ट जोरावर के तहत भारतीय सेना में 354 लाइट टैंक शामिल किए जाएंगे। ये हल्के टैंक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ड्रोन सिस्टम से लैस होंगे। इन टैंकों को चीन से सटी सीमा और तनावग्रस्त इलाकों में तैनात किया जाएगा।