राष्ट्रपति मुर्मू और उपराष्ट्रपति धनखड़ ने देशवासियों को लोहड़ी, मकर संक्रांति, माघ बिहू और पोंगल की दी शुभकामनाएं

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने लोहड़ी, मकर संक्रांति, पोंगल, माघ बिहू त्योहारों की देशवासियों को बधाई दी है.

President Droupadi Murmu

नई दिल्ली, 13 जनवरी : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने लोहड़ी, मकर संक्रांति, पोंगल, माघ बिहू त्योहारों की देशवासियों को बधाई दी है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "लोहड़ी, मकर संक्रांति, पोंगल और माघ बिहु के शुभ अवसर पर मैं देश और विदेश में रहने वाले सभी भारतीय लोगों को हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं. ये पर्व हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत तथा विविधता में एकता के प्रतीक हैं. भारत के विभिन्न क्षेत्रों में मनाए जाने वाले ये त्योहार प्रकृति के प्रति सम्मान को व्यक्त करते हैं. कृषि से जुड़े ये पर्व हमारे अन्नदाता किसानों के अथक परिश्रम के लिए उनका आभार व्यक्त करने के भी अवसर हैं. मेरी कामना है कि ये पावन पर्व प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में खुशहाली और समृद्धि का संचार करें."

वहीं उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक्स पोस्ट पर लिखा, "लोहड़ी, मकर संक्रांति, माघ बिहु और पोंगल के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं. ये पर्व हमारे देश के विविध क्षेत्रों में अनोखे ढंग से मनाए जाते हैं. फसल के मौसम का सम्मान करने की हमारी सदियों पुरानी परंपरा का प्रतिनिधित्व करते हैं. लोहड़ी और माघ बिहू की पवित्र लपटें सभी प्रतिकूलताओं को दूर कर दें, मकर संक्रांति की उड़ती पतंगें हमारे दिलों को उल्लास से भर दें, और पोंगल की पारंपरिक मिठास उत्सव और खुशी के क्षण लाए." यह भी पढ़ें : मारे गए सरपंच के भाई ने जांच की जानकारी साझा नहीं करने का दावा किया, खुदकुशी की चेतावनी दी

फसल के मौसम का एक जीवंत उत्सव लोहड़ी का हर साल बेसब्री से इंतजार किया जाता है. यह पारंपरिक पंजाबी त्योहार मकर संक्रांति से एक दिन पहले आता है. लोहड़ी सिखों और हिंदुओं दोनों के बीच समान रूप से मनाया जाने वाला त्योहार है. इस साल लोहड़ी 13 जनवरी को मनाई जा रही है. इसे लोहड़ी या लाल लोई के नाम से भी जाना जाता है.

मकर संक्रांति, जिसे उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है, सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने का प्रतीक है. हर साल 14 जनवरी (या लीप वर्ष में 15 जनवरी) को मनाया जाने वाला यह त्योहार सूर्य के उत्तर की ओर बढ़ने को दर्शाता है.

इस त्योहार को रंग-बिरंगी सजावट, पतंगबाजी और सामुदायिक समारोहों के साथ मनाया जाता है. कुछ क्षेत्रों में ग्रामीण बच्चे घर-घर जाकर गीत गाते हैं और मिठाइयां इकट्ठा करते हैं. यह त्योहार ऋतुओं में बदलाव का भी प्रतीक है, जो सर्दियों के जाने और वसंत के आगमन का संकेत देता है, जो दिलों को आशा और खुशी से भर देता है.

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