बच्चों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार जल्द ही राज्य के 72 जिलों में 352 बाल रोग गहन चिकित्सा इकाइयों (पीआईसीयू) को जोड़ेगी. सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक, राज्य में हर साल करीब 53. 8 लाख बच्चे पैदा होते हैं. इनमें से 50.9 लाख पांच साल से अधिक जीवित रहते हैं, जबकि 2.8 लाख इस उम्र तक पहुंचने में असफल होते हैं.
इन पीआईसीयू की स्थापना के साथ राज्य सरकार का लक्ष्य पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्युदर को कम करना भी है. इस समय राज्य में जिला स्तर के अस्पतालों में 77 बीमार नवजात देखभाल इकाइयां (एसएनसीयू), 12 मेडिकल कॉलेजों और 16 जिलास्तरीय अस्पतालों में नवजात गहन चिकित्सा इकाइयों (एनआईसीयू) में 344 बेड और एक्यूट इंसेफेलाइटिस (एईएस) और जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) से पीड़ित बच्चों के लिए 160 पीआईसीयू बेड हैं.
इसके साथ ही राज्य में पीआईसीयू की संख्या पूरे राज्य में 512 हो जाएगी. ये पीआईसीयू पहले से ही निर्माणाधीन हैं और 88 सरकारी अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों में स्थापित किए जाएंगे.
इन इकाइयों का निर्माण राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम के तहत किया जा रहा है. प्रत्येक इकाई में आधुनिक सुविधाओं और उपकरणों और वेंटिलेटर के साथ चार बेड होंगे.
अधिकारियों ने बताया कि जिला स्तर पर यह सुविधा उपलब्ध होने से 12 साल तक के बच्चों को गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों जैसे एईएस, जेई, निमोनिया आदि का बेहतर इलाज मिल सकेगा.
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा, "राज्य सरकार बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने के लिए लगातार प्रयास कर रही है और इस संबंध में लगातार सकारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं."