इस वजह से पश्चिम बंगाल में आधी रात को ही फहराया गया तिरंगा

पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) एक अलग ही लय में काम कर रही है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो राज्य के कानून व श्रम मंत्री मलय घटक ने 14 और 15 अगस्त की रात को 12 बजे ही ध्वजारोहण कर सारे नियमों को तार-तार कर दिया.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Photo Credit: PTI/File)

कोलकाता: पूरे देश में 72 वां स्वतंत्रता दिवस पूरे हर्षोल्लास से मनाया गया. देश में ध्वजा रोहण को लेकर नियम व कानून बनाए गए हैं. लेकिन पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) एक अलग ही लय में काम कर रही है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो राज्य के कानून व श्रम मंत्री मलय घटक ने 14 और 15 अगस्त की रात को 12 बजे ही ध्वजारोहण कर सारे नियमों को तार-तार कर दिया. युवा तृणमूल कांग्रेस की ओर से यह कार्यक्रम आसनसोल में आयोजित की गई थी.

टीएमसी के नेताओं ने पश्चिम बंगाल के अलग अलग जगहों पर मध्य रात्रि में ही झंडा फहराया. टीएमसी नेताओं की मानें तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दिशा निर्देश पर सभी जिलों में रात बारह बजे से ही तिरंगा फहराया जा रहा है.

वैसे स्वतंत्रता दिवस पर इस प्रकार का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी टीएमसी ने ध्वजारोहण की एक और परंपरा को बदल दिया था. तृणमूल कांग्रेस के 2011 में सत्ता में आने के बाद ममता बनर्जी ने इंदिरा गांधी सरनी में स्वतंत्रता दिवस परेड की परंपरा शुरू की.

'फ्लैग कोड ऑफ इंडिया' के तहत भारत में किसी भी स्थान पर खुले में सिर्फ रोशनी में ही झंडा फहराया जा सकता है. देश के तमाम सरकारी भवनों में रविवार और अन्य छुट्‍टियों के दिनों में भी सूर्योदय से सूर्यास्त तक तिरंगा फहराया जाता है, विशेष अवसरों पर तिरंगा झंडा रात में फहरा सकते है लेकिन उसके लिए पर्याप्त रोशनी होना आवश्यक है.

वैसे तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार सुबह तिरंगा फहराया. इस दौरान उन्होंने कहा कि देश के लोगों और इसके संस्थानों को शब्द के वास्तविक मायने में 'स्वतंत्र' बने रहने के लिए समग्र प्रयास करना चाहिए.

राज्य सरकार के मंत्रियों, वरिष्ठ नौकरशाहों, पुलिस अधिकारियों, सशस्त्र बलों के अधिकारियों व राजनयिक दल के सदस्यों ने शहर में हुए मुख्य कार्यक्रम में हिस्सा लिया. पहली बार ओडिशा के पुलिस कर्मियों ने परेड में हिस्सा लिया.

Share Now

\