बाबरी विध्वंस पर कोर्ट के फैसले का CM योगी आदित्यनाथ ने किया स्वागत, कहा- षडयंत्र रचने वाले देश से माफी मांगे, लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से भी की बात

28 साल पुराने बाबरी विध्वंस मामले में बुधवार को विशेष सीबीआई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, पूर्व सांसद विनय कटियार और कई अन्य वीएचपी नेता समेत सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है.

सीएम योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो)

लखनऊ: 28 साल पुराने बाबरी विध्वंस मामले में बुधवार को विशेष सीबीआई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, पूर्व सांसद विनय कटियार और कई अन्य वीएचपी नेताओं समेत सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने वरिष्ठ नेता आडवाणी और जोशी को फोन पर बधाई भी दी.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा दिये गये फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सत्य की जीत हुई है. उन्होंने आगे कहा कि यह फैसला स्पष्ट करता है कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा राजनैतिक पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर वोट बैंक की राजनीति के लिए देश के पूज्य संतों, भारतीय जनता पार्टी के नेताओं, विश्व हिन्दू परिषद से जुड़े वरिष्ठ पदाधिकारियों एवं समाज से जुड़े विभिन्‍न संगठनों के पदाधिकारियों को बदनाम करने की नीयत से झूठे मुकदमों में फंसाया गया. साथ ही उन्होंने इस षडयंत्र के लिये जिम्मेदार लोगों को देश की जनता से माफी मांगने के लिए कहा है. BJP ने बाबरी विध्वंस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत के फैसले को ‘सत्य की जीत’ करार दिया

स्पेशल जज ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह घटना पूर्व नियोजित नहीं थी और अचानक हुई है. इस मामले में कोई दोषी साबित नहीं हुआ है. सुनवाई के दौरान ही आरोपियों में से बाल ठाकरे, अशोक सिंघल, महंत अवैद्यनाथ, गिरिराज किशोर और विजयाराजे सिंधिया समेत कुछ अभियुक्तों का निधन हो गया. जिसके बाद कुल 49 आरोपियों में से 32 ही बचे थे.

उल्लेखनीय है कि पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि मामले में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया और उक्त स्थान पर मंदिर निर्माण की अनुमति दे दी. जबकि मुस्लिम पक्षकार को मस्जिद बनाने के लिए अयोध्‍या में ही किसी प्रमुख स्‍थान पर पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था.

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