Maharashtra: उद्धव ने बागियों को दी चुनौती, कहा- शिवसेना और ठाकरे के नाम के बिना जीत कर दिखाए चुनाव

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बागियों पर जबरदस्त पलटवार करते हुए शुक्रवार को उन्हें शिवसेना या ठाकरे के नाम का इस्तेमाल किए बिना चुनाव जीतने की चुनौती दी.

उद्धव ठाकरे व आदित्य ठाकरे (Photo Credit : Twitter)

मुंबई, 24 जून: महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने बागियों पर जबरदस्त पलटवार करते हुए शुक्रवार को उन्हें शिवसेना (Shivsena) या ठाकरे के नाम का इस्तेमाल किए बिना चुनाव जीतने की चुनौती दी. साथ ही सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी- कांग्रेस ने महा विकास अघाड़ी सरकार को बचाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है. शिवसेना के जिलाध्यक्षों और अन्य लोगों की एक बैठक को संबोधित करते हुए ठाकरे ने कहा कि उन्होंने आधिकारिक आवास 'वर्षा' छोड़ दिया है, लेकिन पार्टी के लिए अपनी 'लड़ने की इच्छाशक्ति' नहीं खोई है. Maharashtra Political Crisis: हाई अलर्ट पर महाराष्ट्र पुलिस, बड़ी संख्या में शिव सैनिक कर सकते हैं प्रदर्शन

विद्रोहियों के नेता एकनाथ शिंदे की आलोचना करते हुए उन्होंने याद किया कि कैसे उन्होंने उनके लिए बहुत कुछ किया, फिर भी शिंदे शिवसेना और ठाकरे के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं.

ठाकरे ने कहा, "मैंने शिंदे के लिए हर संभव कोशिश की.. मैंने उन्हें शहरी विकास विभाग आवंटित किया, जिसे मैंने संभाला. उनके बेटे (डॉ श्रीकांत शिंदे) दो बार के सांसद हैं और अब वे मेरे बेटे (मंत्री आदित्य ठाकरे) पर टिप्पणी कर रहे हैं और मेरे ऊपर भी कई आरोप लगा रहे हैं."

उन्होंने विद्रोहियों को चुनौती दी कि वे शिवसेना या पार्टी के संस्थापक दिवंगत बालासाहेब ठाकरे का नाम लिए बिना साहस दिखाएं और लोगों के बीच जाएं.

सीएम ने दोहराया कि कैसे वह उनकी मर्जी के खिलाफ सीएम बने थे और सत्ता पर काबिज होने की उनकी कोई इच्छा नहीं थी.

उन्होंने कहा, "अब, जो लोग दावा करते थे कि वे शिवसेना छोड़ने के बजाय अपनी जान दे देंगे, वे यहां से भाग गए हैं. बागी पार्टी को नष्ट करना चाहते हैं. मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं मुख्यमंत्री बनूंगा और यहां तक कि छोड़ने की पेशकश की.. मैंने 'वर्षा' बंगला खाली कर दिया है, लेकिन लड़ने का संकल्प नहीं छोड़ा है."

शिवसेना प्रमुख ने यह कहते हुए मैदान खोल दिया कि पार्टी में कोई भी जाने के लिए स्वतंत्र है और वे सांसदों या अन्य को ले जा सकते हैं, लेकिन पार्टी की जड़ें नहीं, जो बरकरार हैं.

साथ ही, राकांपा-कांग्रेस ने राजनीतिक संकट से एकजुट होकर लड़ने और अंत तक ठाकरे के साथ खड़े रहने के अपने संकल्प की पुष्टि की है.

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