आरएसएस के वरिष्ठ नेता कृष्ण गोपाल ने कहा- अगर दारा शिकोह ने भारत पर शासन किया होता तो देश में इस्लाम का विस्तार होता
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल ने बुधवार को कहा कि मैं यह पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि अगर दारा शिकोह ने भारत पर शासन किया होता तो देश में इस्लाम का विस्तार होता और हिंदू भी इसे ज्यादा अच्छे तरीके से समझ पाते. मुगल बादशाह शाहजहां के पुत्र और विचारक दारा शिकोह पर आयोजित एक कार्यक्रम में कृष्ण गोपाल ने यह बात कही.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल (Krishna Gopal) ने बुधवार को कहा कि मैं यह पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि अगर दारा शिकोह (Dara Shikoh) ने भारत पर शासन किया होता तो देश में इस्लाम (Islam) का विस्तार होता और हिंदू (Hindu) भी इसे ज्यादा अच्छे तरीके से समझ पाते. मुगल बादशाह शाहजहां के पुत्र और विचारक दारा शिकोह पर आयोजित एक कार्यक्रम में कृष्ण गोपाल ने यह भी कहा कि भारत में यह कोई नहीं चाहेगा कि पाकिस्तानी दुखी रहें क्योंकि भारत की परंपरा ‘सर्वे भवंतु सुखिन:..’ की है. उन्होंने एक लेख का हवाला देते हुए कहा, ‘देश में पारसी करीब 50 हजार हैं, जैन 45 लाख हैं, बौद्ध 80-90 लाख हैं, यहूदी पांच हजार हैं. ये लोग भयभीत नहीं है. आपने कभी सुना है कि पारसी भयभीत हैं, जैन भयभीत हैं? तुम 16-17 करोड़ लोग हो, तुम भयभीत क्यों हैं, किससे भयभीत हो? यह बड़ा प्रश्न है.'
आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, ‘जिस समाज ने 600 वर्षों तक शासन किया हो वो भयभीत क्यों हो गया और किससे भयभीत हो गया?’ उन्होंने कहा कि हमारे समाज ने सभी लोगों को अपनाया और सभी को अपने घर में प्रेम से रखा है. अगर आप समन्वय के धागे ढूंढेंगे तो समन्वय के धागे मिलेंगे.’ उन्होंने यह भी कहा, ‘इस देश ने कभी किसी विभाजनकारी नीति और सोच को प्रश्रय नहीं दिया. सारी धरती अपनी है. सर्वे भवंतु सुखिन:, यह हमारी परंपरा है.’ यह भी पढ़ें- संस्कृत जाने बिना भारत को पूरी तरह से नहीं समझा जा सकता: RSS प्रमुख मोहन भागवत.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से रोज झंझट चलता है. अगर कोई नया ‘मंत्र’ बनाए कि पाकिस्तान को छोड़कर सभी खुश रहें, तो पक्का मानिए कि इस देश के लोग यह स्वीकार नहीं करेंगे. पाकिस्तान भी दुखी क्यों रहे? पाकिस्तान के लोग भी सुखी रहें? भारत की सोच विभाजनकारी नहीं है.' कृष्ण गोपाल ने कहा कि औरंगजेब क्रूरता का प्रतीक था तो दारा शिकोह समावेशी सोच के प्रतीक थे.
भाषा इनपुट