जयपुर: परिवारवाद की राजनीति के लिये कांग्रेस पर आरोप लगाने वाली बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के लिये उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची में पार्टी के कई नेताओं के परिजनों को टिकट देकर पुरस्कृत किया है. पार्टी नेताओं के अनुसार, विद्रोह से बचने के लिये संगठन प्रत्येक कदम सावधानीपूर्वक उठा रहा है. यदि ऐसा नहीं किया गया तो आगामी विधानसभा चुनावों में बगावती सुर पार्टी को नुकसान पहुंचा सकते हैं. बीजेपी की ओर से रविवार रात जारी 131 उम्मीदवारों की सूची में पार्टी ने 85 मौजूदा विधायकों को टिकट देने के साथ साथ उन प्रमुख नेताओं के परिजनों को टिकट देने का ध्यान रखा है जिनके टिकट काटे गए हैं.
बीजेपी की ओर जारी पहली सूची में प्रमुख बीजेपी नेताओं के पुत्रों, पौत्रों और पुत्र वधु को शामिल किया गया है. भगवा पार्टी ने ऐसे नेताओं के परिजनों का भी ध्यान रखा जिनकी खराब स्वास्थ्य के कारण मौत हो गई थी. बीजेपी ने नसीराबाद से सांसद रहे दिवंगत सांवरलाल जाट के पुत्र राम स्वरूप लांबा, डीग-कुम्हेर विधानसभा क्षेत्र से पूर्व मंत्री दिगम्बर सिंह के पुत्र शैलेश सिंह को उम्मीदवार बनाया है.
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इससे पूर्व पार्टी ने लोकसभा उपचुनाव लांबा को टिकट दिया था. पार्टी ने एक बार फिर उन्हें विधानसभा चुनाव मैदान में उतारा है. लोकसभा उप चुनाव में कांग्रेस के रघु शर्मा ने लांबा को 80,000 मतों से पराजित किया था. इसी तरह बीकानेर जिले के कोलायत विधानसभा क्षेत्र से पार्टी ने वरिष्ठ नेता देवी सिंह भाटी की पुत्र वधु पूनम कंवर, भरतपुर जिले के बयाना विधानसभा क्षेत्र से रिषी बंसल की पत्नी रितू को चुनाव मैदान में उतारा है.
पार्टी ने प्रतापगढ़ से पूर्व मंत्री नंदलाल मीणा के पुत्र हेमंत मीणा, पूर्व विधायक गुरजंट सिंह के पौत्र गुरवीर सिंह बरार, जोधपुर के पूर्व विधायक कैलाश भंसाली के भतीजे अतुल भंसाली और बांसवाडा से पूर्व विधायक कुंजीलाल के पुत्र राजेन्द्र मीणा को उम्मीदवार बनाया है. पार्टी नेताओं के अनुसार, बगावत रोकने के लिये उचित कदम उठाये गये हैं. 2008 के विधानसभा चुनावों में पार्टी को इसी तरह के विरोध के कारण 15 सीटों का नुकसान हुआ था जिसके चलते पार्टी सत्ता से बाहर हो गई थी. पार्टी को केवल 78 सीटें मिली थीं, हालांकि कांग्रेस भी जादुई आंकडे़ को नहीं छू पाई थी.
2008 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 96 सीटें मिली थीं. यदि तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ बगावत नहीं हुई होती तो निर्दलीय उम्मीदवारों के समर्थन से भाजपा सरकार बना सकती थी. 2008 में बहुजन समाज पार्टी ने छह सीटें और 14 निर्दलीय उम्मीदवारों सहित अन्य लोगों ने चुनाव में जीत अर्जित की थी.