रायबरेली सदर से विधायक अदिति सिंह के पिता अखिलेश सिंह का निधन
उत्तर प्रदेश के रायबरेली से पूर्व विधायक अखिलेश सिंह का मंगलवार तड़के करीब चार बजे पीजीआई में निधन हो गया. रविवार को उनकी तबीयत बिगड़ने पर परिजनों ने उन्हें पीजीआई में भर्ती कराया था. अखिलेश सिंह के निधन से जिले में शोक की लहर है. उनकी एक पुत्री अदिति सिंह रायबरेली सदर से विधायक हैं.
उत्तर प्रदेश के रायबरेली (Rae Bareli) से पूर्व विधायक अखिलेश सिंह (Akhilesh Singh) का मंगलवार तड़के करीब चार बजे पीजीआई में निधन हो गया. रविवार को उनकी तबीयत बिगड़ने पर परिजनों ने उन्हें पीजीआई में भर्ती कराया था. अखिलेश सिंह के निधन से जिले में शोक की लहर है. उनके परिवार के एक सदस्य ने बताया कि अखिलेश सिंह के परिवार में पत्नी और दो बेटियां हैं. एक पुत्री अदिति सिंह (Aditi Singh) रायबरेली सदर से विधायक हैं. उन्होंने बताया कि अखिलेश सिंह लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे. उनका इलाज सिंगापुर में भी चल रहा था. वह लखनऊ के पीजीआई में रूटीन चेकअप के लिए आए थे. यहां उनकी तबीयत बिगड़ती गई और मंगलवार को उनका निधन हो गया.
उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव लालूको में जनता-दर्शन के लिए रखा जाएगा. उसके बाद वहीं उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. रायबरेली में अखिलेश सिंह कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार थे. गांधी परिवार से उनके रिश्ते बीच में खराब हुए थे. उसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने सदर विधानसभा से कांग्रेस के टिकट पर अपनी बेटी अदिति सिंह को चुनाव लड़ाया था. वह ज्यादा मार्जिन से जीती थी. इधर बीते करीब दो-तीन सालों से अखिलेश सिंह बीमारी के कारण राजनीति में सीधे दखल नहीं रखते दिखाई दिए.
पूर्व विधायक अखिलेश सिंह ने 90 के दशक में अपने राजनीतिक पारी शुरू की और विधायक बने. कांग्रेस पार्टी से विवाद के चलते पार्टी छोड़ी फिर निर्दलीय विधायक बने. 2011 में पीस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बने और 2012 में विधायक बने. अखिलेश सिंह ने 2014 में पीस पार्टी से विद्रोह कर पार्टी तोड़ दी और विधायक बने रहे. विधायक ने 2016 में अपनी बेटी अदिति सिंह को कांग्रेस में शामिल करवाया और 2017 के विधानसभा चुनावों में उनकी बेटी जीत गईं. यह भी पढ़ें- कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कांग्रेस विधायक अदिति सिंह से की मुलाकात
रायबरेली भले ही नेहरू गांधी परिवार की विरासत रही हो पर अखिलेश सिंह के पार्टी छोड़ने के बाद वहां से उनके आलावा कोई जीत नहीं पाया. उनके निधन से पूरे इलाके में शोक की लहर है.