प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान हूल दिवस को लेकर झारखंड के आदिवासी समुदाय के लोगों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि- हूल दिवस हमारे आदिवासी समाज के अप्रतिम साहस, संघर्ष और बलिदान को समर्पित एक महान अवसर है. इस पावन दिवस पर सिद्धो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानो जैसे जनजातीय वीर-वीरांगनाओं को मेरी आदरपूर्ण श्रद्धांजलि. ब्रिटिश साम्राज्य के अत्याचार के खिलाफ उनके स्वाभिमान और पराक्रम की कहानियां देशवासियों के लिए सदैव प्रेरणास्रोत बनी रहेंगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव में जीत के बाद आज पहली बार ‘मन की बात’ कार्यक्रम को संबोधित किया. पीएम मोदी ने मन की बात में झारखंड के संथाल और आदिवासियों का भी जिक्र किया.
हूल दिवस हमारे आदिवासी समाज के अप्रतिम साहस, संघर्ष और बलिदान को समर्पित एक महान अवसर है। इस पावन दिवस पर सिद्धो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानो जैसे जनजातीय वीर-वीरांगनाओं को मेरी आदरपूर्ण श्रद्धांजलि। ब्रिटिश साम्राज्य के अत्याचार के खिलाफ उनके स्वाभिमान और पराक्रम की कहानियां…
— Narendra Modi (@narendramodi) June 30, 2024
पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कहा, ‘मेरे प्यारे देशवासियों, आज 30 जून का ये दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है. इस दिन को हमारे आदिवासी भाई-बहन ‘हूल दिवस’ के रूप में मनाते हैं. यह दिन वीर सिद्धो-कान्हू के अदम्य साहस से जुड़ा है, जिन्होंने विदेशी शासकों के अत्याचार का पुरजोर विरोध किया था. वीर सिद्धो-कान्हू ने हजारों संथाली साथियों को एकजुट करके अंग्रेजों का जी-जान से मुकाबला किया, और जानते हैं ये कब हुआ था? ये हुआ था 1855 में, यानी ये 1857 में भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से भी दो साल पहले हुआ था, तब, झारखंड के संथाल परगना में हमारे आदिवासी भाई-बहनों ने विदेशी शासकों के खिलाफ हथियार उठा लिया था.’
पीएम मोदी ने कहा, ‘हमारे संथाली भाई-बहनों पर अंग्रेजों ने बहुत सारे अत्याचार किए थे, उन पर कई तरह के प्रतिबंध भी लगा दिए थे. इस संघर्ष में अद्भुत वीरता दिखाते हुए वीर सिद्धो और कान्हू शहीद हो गए. झारखंड की भूमि के इन अमर सपूतों का बलिदान आज भी देशवासियों को प्रेरित करता है.’