‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को तगड़ा झटका, चुनाव आयुक्त ने कहा- 2019 में यह मुमकिन नहीं
देशभर में वन नेशन वन इलेक्शन की बढ़ती मांग के बीच मोदी सरकार लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक साथ कराने का भरसक प्रयास में जुटी है. लेकिन मोदी सरकार के इस फैसले को तगड़ा झटका लगा है.
नई दिल्ली: देशभर में वन नेशन वन इलेक्शन की बढ़ती मांग के बीच मोदी सरकार लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक साथ कराने का भरसक प्रयास में जुटी है. लेकिन मोदी सरकार के इस फैसले को तगड़ा झटका लगा है. वन नेशन वन इलेक्शन के मुद्दे पर मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि अगर चरणबद्ध तरीके से चुनाव कराया गया तो ही कई राज्यों के चुनाव आम चुनावों के साथ हो सकते हैं.
न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त ने साफ कहा कि 2019 में लोकसभा चुनाव के साथ ही 11 राज्यों के विधानसभा चुनाव कराने के लिए हमारे पास पर्याप्त वीवीपैट मशीनें नहीं हैं. साथ ही रावत ने कहा कि अगर ऐसी कोशिश की जाती है, तो इसके लिए नई वीवीपैट मशीनों का ऑर्डर देना होगा और इस बारे में एक या दो महीने में फैसला लेना होगा.
गौरतलब है कि पीएम मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही लगातार 'वन नेशन वन इलेक्शन' की मांग कर रहे है. वहीं सूत्रों की माने तो पहले देश के अधिकांश दल एक देश एक चुनाव पर अपनी सहमती जाता चुके हैं. लेकिन सभी दलों के हामी के बाद भी भी संविधान में संशोधन करना पड़ेगा और इसके लिए शीतकालीन सत्र तक इंतजार करना पड़ सकता है.
इसबीच बीजेपी के ही सहयोगी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दो टूक कह दिया कि 2019 के इलेक्शन में लोकसभा व विधानसभा चुनाव एक साथ संभव नहीं है. हालांकि जदयू के मुखिया कुमार ने यह भी कहा कि वैचारिक रूप से वे लोकसभा व विधानसभा चुनाव एक साथ कराने को सही मानते हैं.
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. दो से तीन महीनो के लिए इन चार राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है. वहीं लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड के विधानसभा चुनाव नवंबर 2019 में होने हैं. इसके अलाव जम्मू कश्मीर में गवर्नर का शासन लगा हुआ है. इसलिए वहां पर भी चुनाव होने की संभावना है. वहीं अप्रैल-मई में कम से कम 11 राज्यों के चुनाव हो सकते हैं.