रविवार 19 मई को लोकसभा चुनाव 2019 संपन्न हो गए. आज नतीजों का दिन है और शुरुआती रुझान आने भी शुरू हो गए हैं. इसी कड़ी में महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र की चंद्रपुर सीट के रुझान भी आ रहे हैं. इस सीट शिवसेना के प्रतापराव पाटील चिखलीकर और कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण मैदान में हैं. बता दें कि लोकसभा चुनावों के लिहाज से महाराष्ट्र एक अहम राज्य हैं जिसमें 48 लोकसभा सीट है. सूबे में 4 चरणों में लोकसभा चुनाव हुए थे. रविवार को आये ज्यादातर एग्जिट पोल के नतीजों में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन से आगे रहने का अनुमान लगाया गया है.
अशोक चव्हाण को यह सीट अपने पिता से विरासत में मिली है, राजनीतिक जानकार बताते हैं कि शंकरराव चव्हाण की राजनीतिक विरासत का फायदा उनके दो शिष्यों को मिला. वो हैं विलासराव देशमुख और खुद उनके बेटे अशोक चव्हाण. मराठवाड़ा से आने वाले ये दोनों नेता ऐसे रहे हैं जो महाराष्ट्र में मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री पद पर रहे.
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नांदेड का सियासी इतिहास
नांदेड संसदीय क्षेत्र में 6 विधानसभा सीटें आती हैं, आंकड़ों पर गौर करें तो आजादी के बाद से अबतक नांदेड़ लोकसभा सीट के लिए 19 बार चुनाव हुए है, इसमें से 15 बार कांग्रेस ही यहां विजयी रही है, साल 1957 से लेकर 1971 तक यहां पर कांग्रेस का छत्र राज रहा है, साल 1977 के चुनाव में यहां पर जनता पार्टी जीती थी लेकिन 1980 में यहां पर कांग्रेस की वापसी हुई और तब से लेकर 1999 तक यहां पर कांग्रेस का ही सांसद बना. साल 1980 और 1984 में अशोक चव्हाण के पिता शंकरराव चव्हाण यहां से जीते थे तो वहीं 1987 के उप चुनाव में अशोक चव्हाण पहली बार इस सीट से चुनाव जीत कर संसद पहुंचे थे.
साल 1989 के चुनाव में यहां जनता दल को जीत मिली थी लेकिन इसके बाद फिर से यहां के सांसद की कुर्सी पर कांग्रेस का ही राज रहा, साल 2004 में पहली बार यहां पर कमल खिला और डीबी पाटिल यहां से सांसद चुने गए लेकिन साल 2009 के चुनाव में यह सीट फिर से कांग्रेस के ही हाथ में चली गई और तब से लेकर अब तक उसी का राज यहां पर विद्यमान है.
कांग्रेस बीजेपी में कड़ी टक्कर
नांदेड़ लोकसभा सीट कांग्रेस पार्टी का गढ़ है और इस सीट पर दलित वोटर और मराठी वोटर दोनों ही निर्णायक वोटरों का काम करते हैं तो वहीं मुस्लिम मतदाता भी यहां के चुनाव में अहम रोल निभाते हैं, हालांकि कांग्रेस को भी यहां एक बार बीजेपी से झटका लग चुका है. हालांकि अब देखना यह होगा कि इस बार कांग्रेस अपना गढ़ बचा पाती है या बीजेपी इस यहां कमल खिलाने में कामयाब होती है.
अशोक चव्हाण पर भी लग चुके हैं घोटाले के दाग
अशोक चव्हाण 8 दिसंबर 2008 से 9 नवंबर 2010 तक डेढ़ साल महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे. लेकिन आदर्श इमारत घोटाले में नाम आने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. उस वक्त राजनीतिक जानकारों का कहना था कि मुख्यमंत्री पद जाने के बाद अशोक चव्हाण का राजनीतिक वनवास शुरू हो गया, लेकिन उन्होंने वापसी की और 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की. यहां तक की वो महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी बनाए गए.
2014 में किस पार्टी को मिले कितने वोट
महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व सीएम अशोक चव्हाण यहां से वर्तमान सांसद हैं. उन्होंने साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर बीजेपी नेता डीबी पाटिल को 81, 455 वोटों के अंतर से हराया था. अशोक चव्हाण को इस चुनाव में 49,30, 75 वोट मिले थे तो वहीं डीबी पाटिल को 41,16,20 वोटों पर संतोष करना पड़ा था.
मोदी लहर के बावजूद बीजेपी कांग्रेस को इस किले को ढहा नहीं पाई. साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर नंबर 2 पर बीजेपी और नंबर 3 पर BMUP थी, उस साल यहां कुल मतदाताओं की संख्या 16,87,057 थी, जिसमें से मात्र 10,13,350 लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया था, जिसमें पुरुषों की संख्या 5,49,945 और महिलाओं की संख्या 4,63,405 थी.