MP Bye Election 2020: मध्य प्रदेश में आगामी समय में 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी गंभीर है और उसने चुनाव की तारीखों का ऐलान होने से पहले ही अपनी बिसात बिछाना शुरू कर दिया है. यही कारण है कि पार्टी ने दिग्गज नेताओं को ही मोर्चे पर लगाने का मन बना लिया है. यह बात चुनाव के लिए बनी संचालन समिति और प्रबंध समिति से जाहिर भी हो रही है. राज्य में लगभग डेढ़ साल तक सत्ता से बाहर रहने के बाद ढाई महीने पहले भाजपा के हाथ में सत्ता की कमान आई है. विधानसभा के सदस्य गणित पर नजर दौड़ाई जाए तो एक बात साफ होती है कि भाजपा के पास वर्तमान में पूर्ण बहुमत नहीं है और इसके लिए उसे आगामी समय में 24 स्थानों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव में कम से कम 9 सीटें जीतना जरूरी है और उसे अभी नौ विधायकों की और जरूरत है.
राज्य विधानसभा में सदस्य संख्या 230 है और पूर्ण बहुमत के लिए 116 विधायक की संख्या होना आवश्यक है वर्तमान में भाजपा के 107 विधायक हैं इस तरह नौ सीटें जीतने पर ही उसे पूर्ण बहुमत मिल सकता है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि पार्टी ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की कोशिश में है. पार्टी को एक प्रभावशाली और जनाधार वाले नेता के तौर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का साथ मिला है और यह स्थितियां पार्टी को और मजबूती प्रदान करेगी. यह बात उप-चुनाव नतीजों में भी सामने दिखना चाहिए.
भाजपा सभी 24 सीटों पर अपना जोर लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती और यही कारण है कि उसने चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने जहां पहले सभी 24 सीटों पर प्रभारियों की नियुक्ति की वही अब पार्टी ने चुनाव संचालन समिति और प्रबंध समिति का गठन कर दिया है.
खाद्य एवं आपूर्ति निगम के पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध समिति के सदस्य डॉ. हितेश वाजपेयी ने आईएएनएस से चर्चा करते हुए कहा कि, "आगामी समय में 24 विधानसभा क्षेत्रों के उप-चुनाव है, सरकार के लिए महत्वपूर्ण फेक्टर है, इसके लिए एक या दो स्थानों के उप-चुनाव जैसी रणनीति तो हो नहीं सकती. यह चुनाव भाजपा के लिए राजनीतिक रुप से और संख्यात्मक तौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि विधानसभा की कुल सीटों में से लगभग दस प्रतिशत सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. "
कार्यालय मंत्री सत्येंद्र भूषण सिंह ने संचालन समिति और प्रबंध समिति की जो सूची जारी की है उससे एक संकेत तो साफ मिल रहा है कि पार्टी इस चुनाव में अपने हर नेता का हर संभव इस्तेमाल करना चाहती है. संचालन समिति में जहां अनुभवी लोगों केा स्थान दिया गया है वहीं प्रबंध समिति में वे लोग हैं जो नियमित तौर पर संगठन के लिए काम करते रहते हैं.
संचालन समिति पर गौर करे तो पता चलता है कि राज्य के सभी अनुभवी नेताओं को इसमें जगह दी गई है. इस समिति में विष्णु दत्त शर्मा, शिवराज सिंह चौहान, थावरचंद गहलोत, नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, ज्योतिरादित्य सिंधिया, फ ग्गन सिंह कुलस्ते, प्रभात झा, गोपाल भार्गव, प्रहलाद पटेल, नरोत्तम मिश्रा, सुहास भगत, जयभान सिंह पवैया, गौरीशंकर शेजवार, माया सिंह, यशोधरा राजे सिंधिया, अनूप मिश्रा, रुस्तम सिंह, दीपक जोशी, लाल सिंह आर्य और नारायण कुशवाहा को शामिल किया गया है.
भाजपा की संचालन समिति में जहां पहली पंक्ति के नेताओं को जगह दी गई है तो वही प्रबंध समिति में दूसरी कतार के सक्रिय नेताओं को स्थान दिया गया है. प्रबंध समिति में संयोजक भूपेंद्र सिंह को बनाया गया है, तो वही सदस्य के तौर पर उमाशंकर गुप्ता, रामपाल सिंह, बंशीलाल गुर्जर, अरविंद भदौरिया, विजेश लुणावत, रामेश्वर शर्मा, पंकज जोशी, लोकेंद्र पाराशर, राजेंद्र सिंह, शैलेंद्र शर्मा, भगवानदास सबनानी, नरेंद्र पटेल,रविंद्र यति, विकास विरानी, डॉ. हितेश वाजपेई, मनोरंजन मिश्रा और प्रदीप त्रिपाठी को जगह दी गई है.
राजनीतिक विश्लेषक रवींद्र व्यास का कहना है कि, आगामी विधानसभा के उप-चुनाव को भाजपा हल्के में लेने को तैयार नहीं है और वह इस चुनाव के जरिए कांग्रेस छोड़कर आए ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव के साथ अपने जनाधार को साबित करना चाहती है. लिहाजा उसने उन सारे लोगों को मोर्चे पर लगाकर जिम्मेदारी सौंपना शुरू कर दिया है जिनका खास क्षेत्र में प्रभाव है और उनके सहारे चुनावी वैतरणी को पार किया जा सकता है.