ममता बनर्जी के पत्र पर मोदी सरकार ने किया पलटवार! रेप केस में 'FTSCs को चालू करने में विफल रहा बंगाल'
केंद्र सरकार ने ममता बनर्जी के इस दावे को नकारते हुए कहा है कि राज्य सरकार के पास उपलब्ध संसाधनों का सही उपयोग नहीं हो रहा है, जिससे बलात्कार और POCSO एक्ट के मामलों का निपटारा तेजी से नहीं हो पा रहा है.
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए दूसरे पत्र के जवाब में केंद्र सरकार ने उनके दावों को 'तथ्यात्मक रूप से गलत' बताया है.
केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए पत्र में लिखा गया है, "फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट्स (FTSCs) विशेष रूप से बलात्कार और POCSO एक्ट मामलों से निपटने के लिए समर्पित हैं. हालांकि पश्चिम बंगाल में 48,600 से अधिक बलात्कार और POCSO मामलों का लंबित होना एक गंभीर चिंता का विषय है, लेकिन राज्य ने अभी तक 11 अतिरिक्त FTSCs को चालू नहीं किया है."
केंद्र का यह जवाब उस समय आया है जब ममता बनर्जी ने लगातार दूसरे पत्र के माध्यम से प्रधानमंत्री से राज्य के लंबित मामलों पर ध्यान देने की अपील की थी. उनके पत्र में दावा किया गया था कि राज्य सरकार ने कानून व्यवस्था और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सभी जरूरी कदम उठाए हैं, लेकिन केंद्र द्वारा अपेक्षित समर्थन नहीं मिल रहा है.
केंद्र सरकार ने ममता बनर्जी के इस दावे को नकारते हुए कहा है कि राज्य सरकार के पास उपलब्ध संसाधनों का सही उपयोग नहीं हो रहा है, जिससे बलात्कार और POCSO एक्ट के मामलों का निपटारा तेजी से नहीं हो पा रहा है. केंद्र ने यह भी कहा कि अगर राज्य सरकार द्वारा FTSCs को जल्द से जल्द शुरू किया जाता, तो इन मामलों की लंबितता को काफी हद तक कम किया जा सकता था.
इसके अलावा, केंद्र ने ममता बनर्जी को यह भी याद दिलाया कि न्यायपालिका में सुधार लाने के लिए फंड और संसाधनों का प्रावधान पहले से ही किया गया है. अब यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इन संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करे और लंबित मामलों का समाधान करे.
केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच चल रही यह खींचतान तब और बढ़ गई जब ममता बनर्जी ने अपने पत्र में केंद्र पर आरोप लगाया कि वह राज्य के विकास और न्याय प्रक्रिया को बाधित करने का प्रयास कर रहा है. इस पर केंद्र ने दो-टूक जवाब देते हुए कहा कि राज्य को न्याय प्रणाली में सुधार के लिए केंद्र से आवश्यक मदद दी गई है, और अब राज्य सरकार को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए.
इस विवाद से यह साफ है कि केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच रिश्ते और अधिक तनावपूर्ण हो सकते हैं, खासकर तब जब राज्य में न्याय और कानून व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं.