Vice President Election 2022: मार्गरेट अल्वा होंगी विपक्ष के उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार, शरद पवार ने किया ऐलान

मार्गरेट अल्वा भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष की उम्मीदवार होंगी. राकांपा प्रमुख शरद पवार ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह घोषणा की. उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 19 जुलाई है.

मार्गरेट अल्वा (Photo Credit : Twiiter)

दिल्ली: NDA के उपराष्ट्रपति पद के लिए जगदीप धनखड़ के नाम की घोषणा के बाद अब विपक्षी दलों की तरफ से भी उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की घोषणा कर दी गई है. उपराष्ट्रपति पद (Vice President of India) के लिए विपक्षी उम्मीदवार (Opposition's candidate) मार्गरेट अल्वा (Margaret Alva) होंगी. राकांपा प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) ने इसका ऐलान किया है. Vice Presidential Election: NDA के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार जगदीप धनखड़ ने गृहमंत्री अमित शाह से की मुलाकात

बता दें कि विपक्ष से पहले शनिवार को एनडीए ने सब को चौकाते हुए उपराष्ट्रपति पद के लिए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़  को उम्मीदवार बनाया है. हालांकि इससे पहले मुख्तार अब्बास नकवी, केरल के राज्यपाल  आरिफ मोहम्मद खान का नाम चल रहा था. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का नाम भी आगे चल रहा था. लेकिन बीजेपी ने सब को चौकाते हुए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति के लिए उम्मीदवार बनाया.

मारग्रेट अल्वा का जन्म 14 अप्रैल 1942 को मैंगलूर के पास्कल एम्ब्रोस नजारेथ और एलिजाबेथ नजारेथ के यहां हुआ. अल्वा को अपनी पढ़ाई आगे बढ़ाने के लिए बंगलौर ले जाया गया, जहां माउंट कार्मेल कॉलेज और राजकीय लाँ कॉलेज में इनकी शिक्षा-दीक्षा हुई. 24 मई 1964 में उनकी शादी निरंजन अल्वा से हुई. उनकी एक बेटी और तीन बेटे हैं.

राजनीतिक जीवन

कांग्रेस पार्टी की महासचिव रहने और तेजस्वी सांसद के रूप में पाँच पारियाँ (1974से 2004) खेल चुकने के साथ-साथ वे केंद्र सरकार में चार बार महत्वपूर्ण महकमों की राज्यमंत्री रहीं. एक सांसद के रूप में उन्होंने महिला-कल्याण के कई कानून पास कराने में अपनी प्रभावी भूमिका अदा की. महिला सशक्तिकरण संबंधी नीतियों का ब्लू प्रिन्ट बनाने और उसे केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा स्वीकार कराये जाने की प्रक्रिया में उनका मूल्यवान योगदान रहा. वे संसद की अनेक समितियों में रहने के साथ-साथ राज्य सभा के सभापति के पैनल में भी रहीं. वे 6 अगस्त 2009 से 14 मई 2012 तक उत्तराखण्ड की पहली महिला राज्यपाल के रूप में कार्य किया.

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