Maharashtra Govt Formation: सुप्रीम कोर्ट में कल फिर होगी सुनवाई- केंद्र, राज्य, देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार को नोटिस जारी
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो )

नई दिल्ली: महाराष्ट्र में नई सरकार को लेकर विवाद जारी है. अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने याचिका दाखिल कर महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के उस आदेश को रद्द करने की मांग की है, जिसमें उन्होंने सूबे में सरकार बनाने के लिए देवेंद्र फडणवीस को आमंत्रित किया था. मामले पर जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच सुनवाई कर रही है. सबसे पहले कपिल सिब्बल ने कोर्ट के सामने अपनी दलीलें रखी. सिब्बल ने कहा, महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए 145 का बहुमत है. सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के सामने पूरा सियासी घटनाक्रम रखा.

कपिल सिब्बल ने कहा कि 22 नंवबर को गठबंधन का ऐलान हुआ और 23 को सुबह देवेंद्र फडणवीस ने शपथ ले ली. सिब्बल ने इस दौरान राज्यपाल की भूमिका पर भी सवाल उठाए. सिब्बल ने कहा, अचानक ही राष्ट्रपति शासन हटा दिया गया. इसके लिए कबिनेट की बैठक नहीं हुई. यह राज्यपाल का मनमाना फैसला है. सिब्बल ने कहा, अगर बीजेपी के पास बहुमत है तो वह आज ही इसे साबित करें.

बहुमत का आंकड़ा 145-

कपिल सिब्बल ने राज्यपाल की भूमिका पर सवाल उठाए तो जस्टिस भूषण ने सिब्बल से पूछा कि, समर्थन की चिट्ठी कब दी थी? इस दौरान सिब्बल ने बार-बार दोहराया कि आज ही फ्लोर टेस्ट करवाया जाया. सिब्बल ने कहा, राष्ट्रपति शासन हटाया जाना, शपथ ग्रहण सब कुछ अचानक हुआ. बीजेपी जल्द ही बहुमत साबित करे.

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कर्नाटक की तरह महाराष्ट्र में भी तुरंत हो फ्लोर टेस्ट-

सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल को कहा, हाईकोर्ट जाना चाहिए था. मौलिक अधिकारों के लिए सुप्रीम कोर्ट नहीं आना चाहिए था. इस पर सिब्बल ने कहा, महाराष्ट्र में कब क्या हुआ किसी को कुछ पता नहीं चला. कर्नाटक में तुरंत फ्लोर टेस्ट करने को कहा गया था, हमारी मांग है बीजेपी को महाराष्ट्र में तुरंत फ्लोर टेस्ट करने को कहा जाए.

सिब्बल ने कहा, महाराष्ट्र में जो हो रहा है वैसा हमने पहले कभी नहीं देखा. अगर शाम को घोषणा करते हैं तो हम सरकार बनाएंगे तो राज्यपाल ने कैसे देवेंद्र फडणवीस को सीएम पद की शपथ दिला दी. सिब्बल ने आरोप लगाया कि राज्यपाल केंद्र के इशारे पर काम कर रहे हैं.

तुरंत शपथ ग्रहण क्यों- सिंघवी

सुनवाई के दौरान अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, दावा करने के तुरंत बाद शपथ कैसे दिला दी गई. किसी को भी इस बात की खबर क्यों नहीं लगने दी गई.  सिंघवी ने कहा कि राज्यपाल ने प्रक्रिया पालन की होती तो ये सवाल ही नहीं उठते.

अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट कहा कि राज्यपाल को बहुमत के लिए दस्तावेज और फिजिकल वेरिफिकेशन से संतुष्ट होना होता है. सिंघवी ने कहा, अजित का समर्थन पेपर गैरकानूनी है. सिंघवी ने कहा, हमने राज्यपाल को बता दिया है कि अजित पवार विधायक दल के नेता नहीं हैं. मराठी में भेजी गई चिट्ठी में 41 विधायकों के दस्तखत हैं. अब जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट करवाया जाना चाहिए.

रोहतगी के सवाल- 

कपिल सिब्बल और सिंघवी की दलीलों पर बीजेपी की तरफ से मुकुल रोहतगी ने पूछा, कि अगर आपके पास बहुमत था तो सरकार क्यों नहीं बनाई? बीजेपी के पास बहुमत था इसलिए सरकार बनाई. सड़क से बुलाकर शपथ नहीं दिलाई गई. मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, राज्यपाल अपने विवेक से फैसला लेते हैं. राज्यपाल कोर्ट के प्रति जवाबदेह नहीं हैं. राज्यपाल को अधिकार है कि वो किसको मुख्यमंत्री के रूप में चुने.

रोहतगी ने कहा, संविधान के अनुच्छेद 360 और 361 में राष्ट्रपति और राज्यपाल के अधिकारों का विस्तार से बताया गया है, अनुच्छेद 361 के तहत राज्यपाल अपने अधिकार क्षेत्र के तहत किए गए काम के लिए किसी भी कोर्ट के सामने जवाबदेह नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कल तक टली-

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र मामले पर रविवार को कोई फैसला नहीं सुनाया. कोर्ट अब इस मामले की सोमवार सुबह 10.30 बजे सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में केंद्र, राज्य, देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने तुरंत फ्लोर टेस्ट की मांग को नहीं माना है. राज्यपाल को दी गए समर्थन की चिठ्ठी कल कोर्ट में पेश होगी.