मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) में चल रहा सत्ता का संघर्ष शनिवार सुबह खत्म हो गया. शिवसेना सत्ता की कुर्सी पर बैठने का ख्वाब देखती रह गई और बीजेपी ने एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली. बीजेपी ने कैसे इस सियासी खेल को पूरी तरह पलट दिया किसी को कानों-कान खबर तक नहीं लगी. शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के साथ बैठकें करती रह गई और इस बीच बीजेपी और एनसीपी के अजित पवार ने सरकार गठन के लिए शपथ भी ले ली. सुबह-सवेरे आए इस राजनीतिक भूचाल से शिवसेना (Shiv Sena) हैरान है. इस बड़े सियासी घटनाक्रम के बाद शिवसेना नेता संजय राउत की तरफ से बयान आया. संजय राउत (Sanjay Raut) ने इसे अलोकतांत्रिक बताया. राउत ने देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार के साथ-साथ राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर कई हमले बोले.
संजय राउत ने कहा कि आखिरी वक्त तक अजित पवार हमारे साथ थे. अजित पवार ने शरद पवार को धोखा दिया है. राउत ने कहा, अजित पवार ने अंधेरे में डाका डाला. कल रात अजित पवार बैठक में मौजूद थे. अजित पवार को ईडी की जांच का डर है, इसलिए वे बीजेपी से जा मिले. संजय राउत ने कहा राजभवन की शक्तियों का दुरुपयोग हुआ है. राज्यपाल भी इसमें शामिल हैं. बीजेपी और देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) सत्ता के लिए कुछ भी कर सकते हैं.
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यहां सुने संजय राउत ने क्या कहा-
#WATCH Sanjay Raut, Shiv Sena: Kal 9 baje tak ye mahashaye (Ajit Pawar) hamare saath baithe the, achanak se gayab ho gaye baad mein. Vo nazro se nazre mila kar nahi bol rahe the, jo vyakti paap karne jata hai uski nazar jaise jhukti hai, waise jhuki nazro se baat kar rahe the. pic.twitter.com/dL6olqXFK9
— ANI (@ANI) November 23, 2019
संजय राउत ने कहा, कल रात 9 बजे तक ये महाशय (अजित पवार) हमारे साथ बैठे थे. अचानक से गायब हो गए बाद में... वे नजर नहीं मिला पा रहे थे. जो व्यक्ति पाप करने जाता है उसकी नजरें जैसे झुकी होती हैं वैसी ही नजरों से बात कर रहे थे. अंधेरे में अजित पवार ने डाका डाला है. अजित पवार और उनके साथियों ने छत्रपति शिवाजी का नाम बदनाम किया है. आज सुबह दो बार उद्धव ठाकरे से शरद पवार की बात हुई थी.
पूरे घटनाक्रम पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि यह फैसला पार्टी का नहीं है. बीजेपी के साथ जाना अजीत पवार का निजी फैसला है. महाराष्ट्र में गठित सरकार से एनसीपी का कोई लेना-देना नहीं है. एनसीपी इस फैसले के साथ नहीं है. अजित पवार ने पार्टी लाइन से बाहर जाकर यह फैसला किया है. हम अजित पवार के फैसले का समर्थन नहीं करते.