लोकसभा चुनाव 2019: 7 चरणों में होगी वोटिंग, पहले चरण के लिए 11 अप्रैल को होगा मतदान, 23 मई को आएंगे नतीजे

चुनाव आयोग लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर चुका है. देश में 7 चरणों में चुनाव होंगे. तारीखों के ऐलान के साथ ही देश में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है.

पीएम नरेंद्र मोदी व राहुल गांधी (Photo Credits: IANS)

लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) के लिए सभी राजनैतिक पार्टियों और आम जनता का इंतजार खत्म हो गया है. चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है. देश में 11 अप्रैल से चुनाव होंगे. चुनाव आयोग के अनुसार आम चुनाव अप्रैल-मई में सात चरणों में होंगे. पहले चरण की वोटिंग 11 अप्रैल को होगी. दूसरे चरण के लिए 18 अप्रैल को चुनाव होंगे. तीसरे चरण के लिए 23 अप्रैल और 29 अप्रैल को चौथे चरण के लिए चुनाव होंगे होंगे. पाचवें चरण के मतदान  6 मई और 12 मई को छठे चरण के लिए मतदान होंगे. अंतिम और सातवें चरण के मतदान 19 मई को होंगे. चुनाव नतीजे 23 मई को आएंगे.

मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बताया कि सबसे पहले चरण में 20 राज्यों की 91 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होगी. वहीं दूसरे चरण में 97 सीटों पर 13 राज्यों की चुनाव होंगे. इसके बाद तीसरे चरण में 14 राज्यों की 115 सीटों पर चुनाव होंगे. इसके बाद चौथे चरण में 9 राज्यों की 71 सीटों पर चुनाव होंगे और पांचवे चरण में 7 राज्यों की 51 सीटों पर चुनाव होंगे. बता दें कि छठे चरण में 7 राज्यों की 59 सीटों पर चुनाव होंगे और सातवें चरण में 8 राज्यों की 59 सीटों पर चुनाव होंगे.

तारीखों के ऐलान के साथ ही देश में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है. आचार संहिता लागू हो जाने के बाद अब सरकार नीतिगत निर्णय नहीं ले सकेगी. इस साल होने वाले आम चुनाव कई मायनों में खास होंगे. इस चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वापिस सत्ता में लौटने की कोशिश करेंगे, तो दूसरी ओर बीजेपी के खिलाफ कई राजनीतिक दल एकजुट होकर पार्टी को फिर से सत्ता में आने से रोकने का प्रयास करेंगे. बीजेपी बनाम महागठबंधन की यह जंग कई राजनैतिक उठापठक लेकर आएगी.

चुनाव के अहम मुद्दे 

बता दें कि साल 2014 में 3 जून को लोकसभा का कार्यकाल खत्म हुआ था. इस बार 2 जून को लोकसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है. 2014 में 7 अप्रैल से लेकर 12 मई के बीच 9 चरणों में चुनाव संपन्न हुआ था. वोटों की गिनती 16 मई को हुई थी. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में यूपीए के कार्यकाल में लगे भ्रष्टाचार के आरोप बड़े मुद्दे थे. उस दौरान मोदी के नेतृत्व में प्रचार कर रही बीजेपी काला धन और घोटाले को मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ रही थी. पांच साल के कार्यकाल में मोदी सरकार ने नोटबंदी और जीएसटी से भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के तमाम दावे किए. हालांकि कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष मोदी सरकार को इन मुद्दों पर घेरता आया है.

इसके अलावा कांग्रेस ने राफेल मुद्दे पर मोदी सरकार को घेर रही है. बीजेपी जहां 'अबकी बार फिर मोदी सरकार' के नारे के साथ मैदान में उतर रही है. वहीं कांग्रेस 'चौकीदार ही चोर है' जैसे नारों से बीजेपी के चुनावी रथ को रोकने की जद्दोजहत में लगी है. आगामी चुनाव से पहले हुई एयर स्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक इस चुनाव में काफी चर्चा में है. पाकिस्तान के खिलाफ एयर-स्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक को बीजेपी अपनी कामयाबी के तौर पर पेश कर रही है. वहीं, कांग्रेस पिछले चुनाव में मोदी द्वारा ‘एक बदले दस सिर’ लाने के दावे को चुनौती दे रही है.

बीजेपी VS महागठबंधन 

एयर-स्ट्राइक के जवाब में कांग्रेस एक ओर इसके सबूत मांग रही है तो वहीं जैश सरगना मसूद अजहर को लेकर निशाना साध रही है और पूछ रही है कंधार ले जाकर मसूद को किसने छोड़ा. आगामी चुनाव में भ्रष्टाचार और काले धन से बड़ा मुद्दा देशभक्ति और राष्ट्रवाद बन रहा है. हालांकि इस बाबत चुनाव आयोग ने शनिवार को देश के सभी राजनीतिक दलों को चेतावनी दी है. आयोग ने सभी राजनैतिक पार्टियों को अपने चुनाव प्रचार में सैनिकों की फोटो का इस्तेमाल नहीं करने के लिए कहा है.

गौरतलब है कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सबसे ज्यादा 282 सीटें मिली थीं. जबकि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस महज 44 सीटों पर सिमट कर रह गई. वहीं दूसरी ओर एआईएडीएमके ने 37, तृणमूल कांग्रेस ने 34 और बीजू जनता दल ने 20 सीटों पर कब्जा जमाया था. अगर देश के सबसे बड़े लोकसभा क्षेत्र वाले राज्य उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां के हालात भी 2014 में पूरी तरह से बीजेपी के साथ थे. यहां NDA 73 सीटें जीती थी, जबकि समाजवादी पार्टी केवल 2 सीट पर सिमट गई. वहीं कांग्रेस को भी सिर्फ 2 सीटें मिली और बीएसपी एक भी सीट हासिल करने में कामयाब नहीं हो सकी.

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