येदियुरप्पा बने कर्नाटक के 23वें मुख्यमंत्री, जानिए उनका सियासी सफर
येदियुरप्पा को 2011 में उस वक्त तब तगड़ा झटका लगा जब उनके खिलाफ पांच मामले दर्ज किए गए, येदियुरप्पा पर जमीन के अवैध अधिसूचना और भ्रष्टाचार के आरोप लगे. आरोपों के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था.
बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए हो रही काउंटिंग में बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिलता नजर आ रहा है. रुझानो के अनुसार बीजेपी के उम्मीदवार 114 निर्वाचन क्षेत्रों में आगे हैं जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार 62 सीटों पर आगे हैं. जेडीएस के उम्मीदवार 44 सीटों पर आगे चल रहे हैं. राज्य में किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए 113 सीटों की जरूरत है. जैसे-जैसे मतगणना आगे बढ़ रही है, भाजपा नेता राज्य में पार्टी की जीत को लेकर आश्वस्त होते जा रहे हैं.
बीजेपी के इस शानदार प्रदर्शन के नायक रहे पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा. येदियुरप्पा बीजेपी के सीएम कैंडिडेट हैं और उन्होंने इन चुनवों में पार्टी की रणनीति बनाने में अहम भूमिका निभाई थी. येदियुरप्पा की शिकारीपुरा से जीत लगभग पक्की है. बता दें कि येदियुरप्पा के ही बलबूते बीजेपी ने दक्षिण में पहली बार जीत का स्वाद चखा था. हालांकि, बतौर मुख्यमंत्री उनका कार्यकाल विवादों से भरा रहा और तीन साल बाद ही उन्हें खनन घोटाले में फंसने पर उनकी कुर्सी चली गई.
1983 में पहली बार जीता था चुनाव:
येदियुरप्पा ने 1983 में शिकारीपुरा सीट से पहली बार चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. इसके बाद उन्होंने 1985 उप-चुनाव, विधानसभा चुनाव 1989, 1994, 2004, 2008 और 2013 में जीत हासिल कर इस निर्वाचन क्षेत्र को विपक्षी दलों के लिए अभेद्य किले में स्थापित कर दिया. हालांकि 1999 में उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार महालींग्प्पा के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा था लेकिन उसके बाद से उन्होंने कभी इस सीट पर हार नहीं मिला.
शिकारीपुरा विधानसभा क्षेत्र में 2014 में हुए उपचुनाव में येदियुरप्पा की जगह उनके बेटे बी.वाई राघवेंद्र ने चुनाव लड़ा था और कांग्रेस के अपने प्रतिद्वंद्वी एच.एस. शांथवीरप्पा गौड़ा को मात दी थी
12 नवंबर को पहली बार बने थे मुख्यमंत्री:
दियुरप्पा ने 12 नवंबर 2007 को कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। हालांकि, जेडी (एस) ने मंत्रालयों पर असहमति जताते हुए सरकार को समर्थन करने से इंकार कर दिया जिसके परिणामस्वरूप 19 नवंबर 2007 को उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में इस्तीफा देना पड़ा. मगर साल 2008 में हुए चुनावों में बीजेपी ने उनके नेतृत्व में शानदार जीत दर्ज की और उन्होंने 0 मई 2008 को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की.
छोडना पड़ा था पद:
येदियुरप्पा को 2011 में उस वक्त तब तगड़ा झटका लगा जब उनके खिलाफ पांच मामले दर्ज किए गए, येदियुरप्पा पर जमीन के अवैध अधिसूचना और भ्रष्टाचार के आरोप लगे. आरोपों के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था.
बाद में उन्होंने अपनी नई पार्टी का गठन किया और 2013 का चुनाव लड़ा. इस चुनाव में बीजेपी को येदियुरप्पा की नाराजगी का खामियाजा भुगतना पड़ा और कांग्रेस ने सरकार बनाई.
2014 में फिर हुए बीजेपी में शामिल:
2014 आम चुनावों से पहले येदियुरप्पा एक बार फिर बीजेपी में शामिल हो गए. उन्होंने शिमोगा से लोकसभा चुनाव जीता. 2016 में उन्हें फिर से प्रदेशाध्यक्ष चुना गया.