महागठबंधन में दरार! RJD ने कांग्रेस को बताया डूबता जहाज, कहा- कन्हैया एक और सिद्धू है जो बर्बाद कर देगा

बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने शुक्रवार को कन्हैया कुमार के कांग्रेस में शामिल होने का कटाक्ष करते हुए कहा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) का पूर्व छात्र ‘‘एक और नवजोत सिंह सिद्धू’’ की तरह है जो सबसे पुरानी पार्टी को ‘‘बर्बाद’’ कर देगा.

कन्हैया कुमार (Photo Credits: PTI)

मुजफ्फरपुर: पूर्व सीपीआई कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) की कांग्रेस में एंट्री के बाद  से बिहार (Bihar) में महागठबंधन में सब कुछ ठीक नजर नहीं आ रहा है. सूबे की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने शुक्रवार को कन्हैया के कांग्रेस (Congress) में शामिल होने का कटाक्ष करते हुए कहा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) का पूर्व छात्र एक और नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) की तरह है जो सबसे पुरानी पार्टी को ‘‘बर्बाद’’ कर देगा. बिहार में कांग्रेस का चेहरा बनेंगे कन्हैया!

कांग्रेस को ‘डूबता जहाज’ बताकर उसका मजाक उड़ाते हुए आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि कन्हैया के शामिल होने से पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा. तिवारी ने कन्हैया के उस बयान का जिक्र किया कि ‘‘कांग्रेस एक बड़ा जहाज है जिसे बचाने की जरूरत है’’. आरजेडी नेता ने कहा, ‘‘वह एक और नवजोत सिंह सिद्धू की तरह है जो पार्टी को और बर्बाद कर देगा.’’

आरजेडी नेता ने पत्रकारों से कहा, ‘‘कन्हैया कुमार के शामिल होने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. वह पार्टी को नहीं बचा सकते. कांग्रेस एक डूबता जहाज है और इसका कोई भविष्य नहीं है. ’’ आरजेडी सूत्रों का कहना है कि पार्टी इस बात से नाखुश है कि तेजस्वी यादव से सलाह किए बिना कन्हैया कुमार को कांग्रेस में शामिल कर लिया गया.

कांग्रेस आरजेडी के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन ‘महागठबंधन’ का हिस्सा है जिसने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के खिलाफ चुनाव लड़ा था. हालांकि कांग्रेस की बिहार इकाई के नेताओं ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

क्यों परेशान है आरजेडी?

बिहार में वामपंथी दल के जरिए राजनीति की शुरूआत करने वाले नेता कन्हैया कुमार तमाम अटकलों के बीच कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करके आरजेडी के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं. कन्हैया के कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने के बाद वे उस विपक्षी दलों के महागठबंधन में 'इंट्री' ले ली है जिसके निर्विवाद नेता अब तक राजद के तेजस्वी यादव माने जाते रहे हैं.

ऐसे में यह कयास लगाया जाना लगा है कि अब कन्हैया बिहार में आरजेडी के युवा नेता तेजस्वी के लिए परेशानी का कारण बनेंगे. कन्हैया की छवि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोधी नेता के रूप में रही है. पिछले लोकसभा चुनाव हो या पिछले साल विधानसभा चुनाव हो आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव अब तक कन्हैया कुमार के साथ मंच साझा नहीं की है. पिछले विधानसभा चुनाव में वामपंथी दल भी महागठबंधन में शामिल थे.

वैसे, आरजेडी और कन्हैया के बीच प्रारंभ से ही 36 का रिश्ता रहा है. पिछले लोकसभा चुनाव में भी जब बेगूसराय से सीपीआई की टिकट पर कन्हैया चुनाव मैदान में उतरे थे तब आरजेडी ने वहां से तनवीर हसन को चुनाव मैदान में उतारकर मुकाबले को त्रिकोणात्मक बना दिया था, जिसका अंतत: लाभ राजग को मिला और भाजपा के प्रत्याशी गिरिराज सिंह को यहां जीत मिली.

अब चर्चा है कि अगर कन्हैया कुमार को बिहार में कोई जिम्मेदारी कांग्रेस सौंपती है तो इसका सीधा असर तेजस्वी यादव पर पड़ सकता है. इसमें कोई शक नहीं तेजस्वी को राजनीति जहां विरासत में मिली है, वहीं कन्हैया संघर्ष कर राजनीति में अपना वजूद तलाश रहे हैं.

आरजेडी के सूत्रों का भी मानना है कि पार्टी में इसे लेकर चर्चा भी तेज हो गई है. तेजस्वी और कन्हैया दोनों युवा है. दोनों विपक्ष में हैं, ऐसे में तेजस्वी के लिए महागठबंधन में ही चुनौती मिलेगी, इससे इंकार नहीं किया जा सकता है.

बिहार में महागठबंधन में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी है और महागठबंधन में लालू प्रसाद से बड़ा कोई चेहरा भी नहीं है. ऐसे में लालू प्रसाद के पुत्र और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव निर्विवाद रूप से महागठबंधन के नेता बने हुए हैं. लेकिन कांग्रेस के कन्हैया के बिहार की राजनीति का अगर दायित्व मिलता है, तो तेजस्वी के लिए आगे की राह इतनी आसान नहीं होगी.

सवाल इन दोनों नेताओं के व्यक्तित्व को लेकर भी है. दोनों नेता एक-दूसरे के नीचे काम करेंगे, यह भी भविष्य में देखने वाली बात होगी. अगर, कांग्रेस महागठबंधन में रहती है तो यह देखना काफी दिलचस्प होगा.

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