पूर्व ओ.पी. चौटाला की रिहाई याचिका पर विचार करे दिल्ली सरकार: उच्च न्यायालय
दिल्ली उच्च न्यायालय (High Court) ने बुधवार को दिल्ली सरकार को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओ.पी. चौटाला को 60 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों को विशेष छूट देने के प्रावधान के तहत यहां की तिहाड़ जेल से रिहा करने की याचिका पर विचार करने को कहा.
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय (High Court) ने बुधवार को दिल्ली सरकार को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओ.पी. चौटाला (Om Prakash Chautala) को 60 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों को विशेष छूट देने के प्रावधान के तहत यहां की तिहाड़ जेल से रिहा करने की याचिका पर विचार करने को कहा. दिल्ली (Delhi) सरकार की ओर से पेश वकील राहुल मेहरा ने न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली पीठ को आश्वस्त किया कि दिल्ली सरकार केंद्र सरकार की 18 जुलाई 2018 की अधिसूचना के आधार पर चौटाला की रिहाई संबंधी याचिका पर विचार करेगी.
अदालत ने दिल्ली सरकार से चार दिनों के अंदर याचिका पर विचार करने को कहा. चौटाला की तरफ से पेश वकील एन. हरिहरण और अमित साहनी ने अदालत को बताया कि केंद्र ने राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों को 60 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों, 55 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं और ट्रांसजेंडरों को विशेष छूट का लाभ देने के लिए कहा है और अगर इनलोगों ने अपनी सजा की आधी अवधि पार कर ली है तो उन्हें रिहा करने के लिए कहा है.
अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि 70 प्रतिशत दिव्यांगता से ग्रस्त दोषियों को भी वास्तविक सजा की आधी अवधि को पूरा करने के बाद रिहा किया जाएगा. साहनी ने कहा, "चौटाला को भारतीय दंड संहिता के तहत 10 वर्ष की सजा और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत 7 वर्ष की सजा सुनाई गई थी.
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वह भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत सजा भुगत चुके हैं." साहनी ने कहा, "अप्रैल 2013 के आधार पर चौटाला की अस्थायी दिव्यांगता 60 प्रतिशत थी और जून 2013 में उन्हें पेसमेकर लगाया गया. दिव्यांगता बढ़ रही है और मौजूदा समय में यह 70 प्रतिशत से ज्यादा है और वह अधिसूचना की दो अहर्ताओं को पूरा करते हैं."
उन्होंने कहा चौटाला की उम्र 83 वर्ष है, जो कि अधिसूचना में वर्णित लाभ देने के तहत खुद ही रिहाई के लिए विचार करने के लिए पर्याप्त है. चौटाला और उनके बड़े बेटे अजय चौटाला जनवरी 2013 में कनिष्ठ बेसिक शिक्षक भर्ती घोटाले में दोषी साबित हुए थे. दोनों को दिल्ली में सीबीआई की एक अदालत ने 10 वर्ष की जेल की सजा सुनाई थी.