हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019: इन 3 नेताओं में से कोई एक हो सकता है राज्य का अगला मुख्यमंत्री

हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार-प्रसार जारी है. हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों पर 21 अक्टूबर को वोटिंग होगी तो वहीं 24 अक्टूबर को नतीजे सामने आएंगे. हरियाणा में मुकाबला सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), कांग्रेस, इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी), जननायक जनता पार्टी (जेजेपी), बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) व अन्य पार्टियों के बीच है.

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 (File Photo)

Haryana Assembly Elections 2019: हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार-प्रसार जारी है. हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों पर 21 अक्टूबर को वोटिंग (Voting) होगी तो वहीं 24 अक्टूबर को नतीजे सामने आएंगे. हरियाणा में मुकाबला सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी  (BJP), कांग्रेस, इंडियन नेशनल लोकदल (INLD), जननायक जनता पार्टी (JJP), बहुजन समाज पार्टी (BSP) व अन्य पार्टियों के बीच है. हालांकि न्यूज चैनलों के ओपिनियन पोल्स में हरियाणा में बीजेपी की वापसी की भविष्यवाणी की गई है. बता दें कि हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं और ऐसे में यहां बहुमत का जादुई आंकड़ा 46 है.

हरियाणा में बीजेपी एक बार फिर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में चुनाव मैदान में उतरी है. यानी बीजेपी की सत्ता में वापसी होती है तो निश्चित तौर पर मनोहर लाल खट्टर फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में हरियाणा की सभी 10 सीटें जीतने से उत्साहित बीजेपी ने इस विधानसभा चुनाव में 'मिशन 75' का लक्ष्य रखा है. बता दें कि साल 2014 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 47 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

वहीं, अंतर्कलह से जूझती हरियाणा कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के दो उम्मीदवार हैं. पहले हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दूसरी कुमारी शैलजा. ज्ञात हो कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के ऐलान से ठीक पहले कुमारी शैलजा को हरियाणा कांग्रेस की कमान सौंपी गई थी. वहीं, भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कांग्रेस विधायक दल का नेता बनाया गया था. यह भी पढ़ें- विधानसभा चुनाव 2019: पीएम मोदी हरियाणा से ज्यादा महाराष्ट्र में करेंगे रैली, क्या शिवसेना से सतर्क रहने की है रणनीति?

हरियाणा में मुख्यमंंत्री पद के एक और दावेदारों में पूर्व सांसद दुष्यंत चौटाला भी हैं. बताते चलें कि पिछले साल चौटाला परिवार में दरार आ गई थी जिसकी वजह से आईएनएलडी में विभाजन हो गया था. अजय सिंह चौटाला और उनके बेटे दुष्यंत चौटाला ने जेजेपी का गठन किया था.

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