कर्नाटक में चुनाव से पहले ग्राम पंचायत सीटें 'नीलाम', राज्य निर्वाचन आयोग मतदान रद्द करने पर कर रहा है विचार
कर्नाटक में ग्रामीण मतदाता कथित तौर पर ग्राम पंचायत सीटों की नीलामी करने जा रहे हैं, ताकि 22-27 दिसंबर को दो चरणों के स्थानीय निकाय चुनाव से पहले उन्हें निर्विरोध विजेता घोषित किया जा सके. उन्होंने कहा कि इस समय राज्य निर्वाचन आयोग नए कानून नहीं ला सकता है और मौजूदा कानून ऐसी गतिविधियों में दंडित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं.
बेंगलुरु, 15 दिसंबर: कर्नाटक में ग्रामीण मतदाता कथित तौर पर ग्राम पंचायत (DP) सीटों की नीलामी करने जा रहे हैं, ताकि 22-27 दिसंबर को दो चरणों के स्थानीय निकाय चुनाव से पहले उन्हें निर्विरोध विजेता घोषित किया जा सके. एक अधिकारी ने सोमवार को कहा, ग्रामीण मतदाताओं को कथित तौर पर तुमकुरू, बल्लारी, कोलार, कलबुर्गी और मांड्या जिलों में अपनी जीपी सीटों की नीलामी को गंभीरता से लेते हुए कर्नाटक राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) मतदान रद्द करने पर विचार कर रहा है, अगर उपायुक्त, जो रिटर्निग अधिकारी भी हैं, इस आरोप की पुष्टि करते हैं.
एसईसी ने इस बीच सभी डीसी को एक परिपत्र जारी किया, जिसमें कहा गया है कि निर्वाचन अधिकारियों को जीपी सीटों की नीलामी के कारण 'निर्विरोध' वाली सीटों की सावधानीपूर्वक छानबीन करनी चाहिए. परिपत्र में आगे कहा गया है कि कर्नाटक पंचायत राज (निर्वाचन का संचालन) नियम, 1993 के तहत उम्मीदवार को तीसरे पक्ष के माध्यम से या अपने एजेंट के माध्यम से भी अपनी उम्मीदवारी वापस लेने की अनुमति देने का प्रावधान है, इसलिए, रिटर्निग अधिकारियों को सावधान रहना चाहिए और अपने रास्ते में आने वाली किसी भी मांग को स्वीकार करने से पहले अपने विवेक का उपयोग करना चाहिए जहां उन्होंने सर्वसम्मति से विजेता घोषित किया है.
एसईसी सचिव एस होनम्बा ने आईएएनएस को बताया, "अगर उपायुक्त की रिपोर्ट इस आरोप की पुष्टि करती है कि उम्मीदवार नकदी के लिए अपनी सीटों की नीलामी कर रहे थे, तो उस ग्राम पंचायत में चुनाव रद्द कर दिया जाएगा." जबकि एसईसी आयुक्त बी. बासवराजू ने आईएएनएस को बताया कि उपायुक्त जो जिला रिटर्निग अधिकारी भी हैं, ने ऐसी अलोकतांत्रिक घटनाओं को गंभीरता से लिया है और संबंधित धाराओं के साथ मामले भी दर्ज कराए हैं. उन्होंने कहा कि मांड्या, बल्लारी, कलबुर्गी, तुमकुरू के डीसी ने पहले ही कार्रवाई की है.
उन्होंने कहा कि इस समय राज्य निर्वाचन आयोग नए कानून नहीं ला सकता है और मौजूदा कानून ऐसी गतिविधियों में दंडित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं.