मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर पंचतत्व में हुए विलिन, नम आंखों से दी गई आखिरी विदाई
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर (89) का बुधवार सुबह लंबी बीमारी के बाद यहां एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार आज दोपहर भोपाल स्थित सुभाष नगर विश्राम घाट पर किया गया. उनके पोते आकाश गौर ने उनकी चिता को मुखाग्नि दी.
भोपाल. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर (89) का बुधवार सुबह लंबी बीमारी के बाद यहां एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार आज दोपहर भोपाल स्थित सुभाष नगर विश्राम घाट पर किया गया. उनके पोते आकाश गौर ने उनकी चिता को मुखाग्नि दी. इस अवसर पर मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन, केन्द्रीय मंत्रीगण नरेन्द्र सिंह तोमर, थावरचंद गहलोत एवं नित्यानंद राय, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह एवं कई अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे.
मध्यप्रदेश सरकार ने उनके निधन पर तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है. इस दौरान प्रदेश में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और शासकीय कार्यक्रम स्थगित रहेंगे. इससे पहले उनके शव को उनके निवास से प्रदेश भाजपा मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं के दर्शनार्थ के लिए फूलों से सुसज्जित वाहन में लाया गया. यह भी पढ़े-मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर का हुआ निधन, लंबे समय से थे बीमार
गौर का बुधवार सुबह यहां नर्मदा अस्पताल में निधन हो गया था. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे.
नर्मदा अस्पताल के निदेशक डॉक्टर राजेश शर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि दिल का दौरा पड़ने से गौर का निधन हुआ. वह वृद्धावस्था संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे और सात अगस्त से अस्पताल में भर्ती थे.
भाजपा के वरिष्ठ नेता गौर 2004-2005 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और 10 बार लगातार मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे. अपने लंबे राजनीतिक करियर में वह मध्यप्रदेश में गृह, वाणिज्य, उद्योग, विधि एवं विधायी कार्य, संसदीय कार्य, जनसम्पर्क, नगरीय कल्याण, शहरी आवास तथा पुनर्वास, 'भोपाल गैस त्रासदी' राहत, सहित अन्य विभागों के भी मंत्री रहे. वह लंबे समय से गोविंदपुरा विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते थे. पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में 75 वर्ष पार करने के कारण उन्हें भाजपा का टिकट नहीं मिला था. उनके स्थान पर उनकी बहू कृष्णा गौर को भाजपा ने इस सीट से टिकट दिया और वह पहली बार विधायक बनीं.
गौर ने वर्ष 1992-93 में भाजपा नीत सुंदरलाल पटवा के मुख्यमंत्रित्व काल में नगरीय प्रशासन मंत्री के तौर पर राजधानी भोपाल सहित समूचे प्रदेश में अतिक्रमण हटाने की मुहिम चलाई थी. इसके कारण वह बुलडोजर मंत्री के तौर पर जाने जाते थे. वह बेबाक वक्ता, कुशल राजनेता एवं संजीदा इंसान थे। उन्होंने मजदूर नेता से मंत्री, मुख्यमंत्री तक लम्बा राजनीतिक सफर तय किया.
गौर का जन्म 2 जून 1930 को नौगीर ग्राम जिला प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश में हुआ था. लेकिन वह बचपन से ही भोपाल में रहे.