नई दिल्ली: आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों को देखते हुए चुनाव आयोग ने सोमवार को सभी राजनैतिक दलों की बैठक बुलाई है. जहां एक तरफ चुनाव में जीत पक्की करने को लेकर सभी पार्टिया तैयारियों में पूरे दमखम के साथ जुटी है तो वहीँ दूसरी ओर मुख्य निर्वाचन आयोग भी मतदान के दौरान किसी भी प्रकार की त्रुटी नहीं चाहता.
आगामी लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों को लेकर चर्चा करने के लिए चुनाव आयोग ने 27 अगस्त को सर्वदलीय बैठक. इस दौरान सभी राजनीतिक दलों के साथ चुनाव प्रक्रिया पर चर्चा की जाएगी. यह बैठक दिल्ली में होगी. बताया जा रहा है कि बैठक में इस साल होने वाले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम राज्यों में विधानसभा चुनावों और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों को लेकर सभी पार्टियों से सलाह ली जाएगी.
आयोग ने इस बैठक के लिए सात पंजीकृत राष्ट्रीय दलों और 51 क्षेत्रीय दलों को आमंत्रित किया है. बैठक में आगामी चुनावों के मद्देनज़र मतदाता सूचियों की पारदर्शिता, राजनीतिक दलों के चुनाव खर्च को सीमित करने तथा खर्च की ऑडिट रिपोर्ट निर्धारित समय पर पेश करने जैसे मुद्दों पर भी चर्चा होगी.
इसी क्रम में चुनाव आयोग की टीम 27 अगस्त से 1 सितंबर तक देश के तीन राज्य राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का दौरा करेगी. आयोग की टीम इस दौरान 1 सितंबर को तमाम राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से मुलाकात भी करेगी. इसके अलावा इन राज्यों में चुनाव से जुड़े अधिकारियों के साथ बैठक भी करेगी.
गौरतलब है कि इससे पहले मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने लोकसभा और विधानसभाओं चुनाव को एक साथ कराने की संभावना से साफ इनकार कर दिया था. रावत ने मीडिया से कहा, "एक देश, एक चुनाव के मुद्दे पर, आयोग ने खुद ही 2015 में सुझाव दिए थे. सौ प्रतिशत वीवीपैट की उपलब्धता के संदर्भ में संसाधनों की सुविधा उपलब्ध कराना एक मुश्किल काम होगा." मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह बयान बीजेपी द्वारा संसदीय और विधानसभा चुनाव एकसाथ कराने की पहल करने के बीच दिया था.