नई दिल्ली:- केंद्र सरकार नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship (Amendment) Act) और एनआरसी पर मचे घमासान के बीच अब राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (National Population Register) को लाने की तैयारी में है. मोदी सरकार आज होने वाले कैबिनेट मीटिंग में इसपर चर्चा कर मंजूरी दे सकती है. नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर(एनपीआर) के तहत एक अप्रैल, 2020 से 30 सितंबर, 2020 तक नागरिकों का डेटाबेस तैयार करने के लिए देशभर में घर-घर जाकर जनगणना की तैयारी है. दरअसल अगर कोई शख्स देश के किसी हिस्से में छह महीने से रह रहा है तो उसे भी एनपीआर में दर्ज होना है. एनपीआर के जरिए लोगों का बायोमेट्रिक डेटा तैयार कर सरकारी योजनाओं की पहुंच असली लाभार्थियों तक पहुंचाने का भी मकसद है.
बता दें कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार में 2010 में एनपीआर बनाने की पहल शुरू हुई थी. तब 2011 में जनगणना के पहले इस पर काम शुरू हुआ था. अब फिर 2021 में जनगणना होनी है. ऐसे में एनपीआर पर भी काम शुरू हो रहा है. वहीं CAA और NRC के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केरल ने एनपीआर का भी विरोध किया है. दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए एआईएमआईएम(ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के जरिए एनआरसी पर काम शुरू हो चुका है और वह भाजपा को उन्हें गलत साबित करने की चुनौती देते हैं.
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एनपीआर के उद्देश्य से सामान्य निवासी को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया जाता है जो किसी क्षेत्र में पिछले छह महीने या अधिक समय से निवास कर रहा हो या ऐसा व्यक्ति जो उस इलाके में अगले छह महीने या उससे अधिक समय तक रहना चाहता है. एनपीआर का पूरा नाम नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर है. देश के सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान का डेटाबेस बनाना इसका मुख्य लक्ष्य है. इस डेटा में जनसांख्यिंकी के साथ बायोमेट्रिक जानकारी भी होगी. एनपीआर और एनआरसी में अंतर है. एनआरसी के पीछे जहां देश में अवैध नागरिकों की पहचान का मकसद छुपा है.