कपिल मिश्रा के 'मिनी पाकिस्तान' वाले ट्वीट पर बवाल, चुनाव आयोग ने ट्विटर को लिखा पत्र

दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों के नजदीक आने के साथ ही नेताओं के बीच बयानबाजी का दौर तेज होता जा रहा है. इसी क्रम में कभी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार में मंत्री रह चुके कपिल मिश्रा अपने एक विवादित ट्वीट के चलते घिरते नजर आ रहे है.

कपिल मिश्रा (Photo Credits: ANI)

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Elections 2020) की तारीखों के नजदीक आने के साथ ही नेताओं के बीच बयानबाजी का दौर तेज होता जा रहा है. इसी क्रम में कभी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की सरकार में मंत्री रह चुके कपिल मिश्रा (Kapil Mishra) अपने एक विवादित ट्वीट के चलते घिरते नजर आ रहे है. दरअसल कपिल मिश्रा ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का शाहीन बाग (Shaheen Bagh) में विरोध कर रहे लोगों के लिए 'मिनी पाकिस्तान' शब्द का इस्तेमाल कर एक ट्वीट किया था. चुनाव आयोग ने शुक्रवार को मिश्रा को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है. साथ ही आयोग ने ट्विटर को पत्र लिखकर उस ट्वीट को भी हटाने के लिए कहा है. वर्तमान में कपिल मिश्रा को बीजेपी ने मॉडल टाउन विधानसभा क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया है.

न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक मुख्य चुनाव आयोग ने दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी से बीजेपी नेता कपिल मिश्रा के ट्वीट को लेकर रिपोर्ट मांगी है. यह रिपोर्ट 24 घंटे के भीतर देने का निर्देश दिया गया है. साथ ही आयोग ने कपिल मिश्रा के 22 जनवरी को किए गए भारतv/s पाकिस्तान वाले ट्वीट को हटाने का अनुरोध किया है. दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020: केजरीवाल का शाह पर पलटवार, कहा- सिर्फ वाईफाई नहीं बल्कि बैटरी चार्जिग भी फ्री है

कपिल मिश्रा का ट्वीट-

कपिल मिश्रा को भेजे नोटिस में लिखा गया है "आदर्श आचार संहिता के खंड (1) के तहत निर्धारित है कि कोई पार्टी या उम्मीदवार किसी भी ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा, जो आपस में घृणा को बढ़ा सकता है या विभिन्न जाति, समुदाय, धर्म या भाषा के बीच तनाव का कारण बनता है."

इसमें आगे लिखा गया, "जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 123 (3ए) के तहत भ्रष्ट आचरण को इस प्रकार परिभाषित किया गया है- किसी उम्मीदवार या उसके एजेंट या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किसी उम्मीदवार या उसके चुनाव एजेंट की सहमति पर उस उम्मीदवार की चुनावी संभावनाओं को बढ़ाने या किसी उम्मीदवार के चुनाव को पूर्वाग्रह से प्रभावित करने के लिए जाति, धर्म, नस्ल, समुदाय या भाषा के आधार पर भारत के नागरिकों के विभिन्न वर्गो के बीच दुश्मनी या घृणा की भावना को बढ़ावा देने का प्रयास."

हालांकि, कपिल मिश्रा ने अपने दिए बयान को सही बताते हुए कहा "मुझे नहीं लगता कि मैंने कुछ भी गलत कहा. सच बोलना इस देश में अपराध नहीं है. मैंने सच बोला. मैं अपने बयान पर कायम हूं."

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