MP By-Poll: ऑडियो क्लिप वायरल होने पर घमासान, शिवराज और कमलनाथ के बीच छिड़ी पाप और पुण्य की बहस

मध्य प्रदेश में उपचुनाव के माहौल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के वायरल ऑडियो पर घमासान मच गया है. कांग्रेस ने ऑडियो मसले पर बीजेपी की घेराबंदी तेज की तो शिवराज सिंह चौहान को भी खामोशी तोड़नी पड़ी. दरअसल, बीते सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इंदौर में उपचुनाव को लेकर पार्टी नेताओं के साथ मीटिंग कर रहे थे.

सीएम कमलनाथ और शिवराज सिंह चौहान (Photo Credits-PTI)

नई दिल्ली/भोपाल, 12: मध्य प्रदेश में उपचुनाव के माहौल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) के वायरल ऑडियो पर घमासान मच गया है. कांग्रेस ने ऑडियो मसले पर बीजेपी की घेराबंदी तेज की तो शिवराज सिंह चौहान को भी खामोशी तोड़नी पड़ी. शिवराज सिंह चौहान ने जहां पापियों के विनाश को पुण्य का काम बताया तो पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath) ने कहा है कि जो खुद को धर्मप्रेमी बताते हैं वही सबसे बड़े पापी हैं.

दरअसल, बीते सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इंदौर में उपचुनाव को लेकर पार्टी नेताओं के साथ मीटिंग कर रहे थे. इस मीटिंग के बाद एक ऑडियो सामने आया. जिसमें शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि सरकार गिराने का निर्देश पार्टी नेतृत्व ने दिया था. शिवराज ने कहा था कि तुलसी सिलावट और ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के बिना सरकार गिराना संभव नहीं था. इस ऑडियो पर घमासान मच गया. प्रदेश कांग्रेस ने ट्वीट कर पूछा था- "मोदीजी आपने लोकतंत्र की हत्या की है या आपके सीएम आदतन लफ्फाजी कर रहे हैं."

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वहीं गुरुवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मसले पर चुप्पी तोड़ते हुए जवाब दिया. उन्होंने बिना किसी का नाम लेते हुए कहा, "पापियों का विनाश तो पुण्य का काम है. हमारा धर्म तो यही कहता है. क्यों? बोलो, सियापति रामचंद्र की जय!"

जिस पर कमलनाथ भी पलटवार करने से नहीं चूके. उन्होंने कहा, "कुछ लोग खुद को बड़ा धर्म प्रेमी बताते हैं, खूब ढोंग करते हैं लेकिन सच्चाई यह है कि ये ही लोग सबसे बड़े अधर्मी, पापी हैं. जनता के धर्म यानी जनादेश को नहीं मानते हुए उसका अपमान करने वाले धर्म प्रेमी कैसे."

फिर उन्होंने कहा, "धोखा, फरेब, साजि़श, खरीद- फरोख्त, षड्यंत्र, प्रलोभन, ये आचरण तो धर्म कभी नहीं सिखाता? एक समय जिन्हें पापी बताते थे, आज वो ही संगी साथी हैं. कोई नियत-नीति नहीं, नैतिकता नहीं, कोई सिद्धांत नहीं, यह धर्म की राह कैसे?"

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