छत्तीसगढ़ में सत्ता पाने के लिए AAP ने खेला बड़ा दांव: इस वजह से बनाया आदिवासी युवा नेता को CM उम्मीदवार

दिल्ली की सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी (आप) ने छत्तीसगढ़ में अपने पांव जमाने के लिए भरसक प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में आप ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में आदिवासियों को रिझाने के लिए युवा नेता कोमल हुपेंडी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है.

आप ने आदिवासी नेता को बनाया छत्तीसगढ़ में सीएम का उम्मीदवार (Photo Credit: Twitter)

रायपुर: दिल्ली की सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी (आप) ने छत्तीसगढ़ में अपने पांव जमाने के लिए भरसक प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में आप ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में आदिवासियों को रिझाने के लिए युवा नेता कोमल हुपेंडी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है.

हाल ही में पार्टी ने छत्तीसगढ़ में सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया. इसी के साथ आप ने 84 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा भी कर दी है. बताया जा रहा है 37 वर्षीय कोमल हुपेंडी आदिवासी समाज से आते हैं. वह नक्सल प्रभावित कांकेर जिले के रहने वाले हैं. हुपेंडी ने 2016 में सहकारिता विस्तार अधिकारी के पद से इस्तीफा देकर आप का दामन थामा था.

आप के वरिष्ठ नेता गोपाल राय ने बुधवार को यहां बताया कि हुपेंडी राज्य में मुख्यमंत्री पद के सबसे युवा उम्मीदवार हैं। इतिहास में एमए तक पढ़ाई करने वाले हुपेंडी वर्ष 2005 बैच में सहकारिता विस्तार अधिकारी के पद पर भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं.

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राय ने बताया कि हुपेंडी ने वर्ष 2016 में सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था और आम आदमी पार्टी के सदस्य बन गए थे. आप नेता ने बताया कि हुपेंडी ने दो किताब लिखी हैं तथा राज्य में आदिवासियों के लिए हुल्की महोत्सव, कोलांग महोत्सव और पर्रा जलसा की शुरूआत की थी.

राय के मुताबिक हुपेंडी गरीब आदिवासी युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं तैयारी कराते हैं और शराब बंदी को लेकर आंदोलन भी कर चुके हैं.

आप के प्रदेश संयोजक संकेत ठाकुर ने कहा कि राज्य में आदिवासी और किसान समेत समाज के सभी वर्ग अब आम आदमी पार्टी पर भरोसा कर रहे हैं. ठाकुर ने कहा कि छत्तीसगढ़ का निर्माण आदिवासियों और आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों के विकास के लिए हुआ था. लेकिन यह अभी तक नहीं हो पाया है.

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में विधानसभा की 90 सीटें है. इनमें से 49 सीटों पर बीजेपी और तथा 39 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. वहीं एक-एक सीट बहुजन समाज पार्टी और निर्दलीय विधायक के पास हैं. राज्य में अनुसूचित जनजाति के लिए 29 सीटें आरक्षित हैं. वर्ष 2011 के जनगणना के मुताबिक छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति वर्ग की आबादी लगभग 12 फीसदी थी. यहीं वजह है कि राज्य में सत्ता हासिल करने के लिए वहां के आदिवासीयों का साथ होना बहुत जरुरी है.

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