SC On Freebies: 'मुफ्त की रेवड़ी' पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, MP और राजस्थान सरकार से 4 हफ्तों में मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में विधानसभा चुनावों से पहले ‘मुफ्त की रेवड़ियां’ बांटने का आरोप लगाने वाली एक जनहित याचिका पर दोनों राज्य की सरकारों से शुक्रवार को जवाब तलब किया।
नयी दिल्ली, 6 अक्टूबर: उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में विधानसभा चुनावों से पहले ‘मुफ्त की रेवड़ियां’ बांटने का आरोप लगाने वाली एक जनहित याचिका पर दोनों राज्य की सरकारों से शुक्रवार को जवाब तलब किया. प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने सार्वजनिक धन के दुरुपयोग से जुड़ी एक जनहित याचिका पर केंद्र, निर्वाचन आयोग तथा भारतीय रिजर्व बैंक को भी नोटिस जारी किये.
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि दोनों राज्य की सरकारें मतदाताओं को प्रलोभन देने के लिए करदाताओं के पैसों का दुरुपयोग कर रही हैं. शुरू में याचिका पर विचार करने के लिए अनिच्छुक शीर्ष अदालत हालांकि बाद में इस पर विचार करने के लिए सहमत हो गई. न्यायालय ने पूछा कि वह चुनाव से पहले संबंधित सरकारों द्वारा किए गए सभी प्रकार के वादों को कैसे नियंत्रित कर सकता है. पीठ ने कहा, “चुनाव से पहले, सभी प्रकार के वादे किए जाते हैं और हम इसे नियंत्रित नहीं कर सकते.” शीर्ष अदालत ने यह भी पूछा कि याचिका उच्च न्यायालय में क्यों दायर नहीं की गई.
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील वरिंदर कुमार शर्मा ने कहा, “चुनाव से पहले सरकार द्वारा नकदी बांटने से ज्यादा क्रूर कुछ नहीं हो सकता. ऐसा हर बार हो रहा है और इसका बोझ अंततः करदाताओं पर ही पड़ता है.” उन्होंने यह भी कहा कि याचिका दो राज्यों में मुफ्त सुविधाएं देने से संबंधित है. पीठ ने कहा, ‘‘नोटिस जारी किया जाए. चार सप्ताह के भीतर जवाब दीजिए.’’
पीठ ने वकील से कहा कि वह प्रतिवादियों की सूची से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय को हटाकर इसकी जगह राज्य सरकार का नाम रखें, जिसका प्रतिनिधित्व मुख्य सचिव के माध्यम से किया जाएगा. न्यायालय ने भट्टूलाल जैन की जनहित याचिका पर सुनवाई की और इसे ऐसी ही एक अन्य याचिका के साथ नत्थी करने का आदेश दिया. इससे पहले अश्विनी उपाध्याय ने इस मुद्दे पर याचिका दायर की थी, जिसे अगस्त 2022 में तीन न्यायाधीशों की पीठ को भेजा गया था.
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