नागरिकता संशोधन बिल: असम और त्रिपुरा में हंगामा जारी, सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरे लोग

एक तरफ जहां राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पास कराने के लिए पेश किया गया है, वहीं नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) के खिलाफ असम ( Assam) और त्रिपुरा (Tripura) समेत पूरे नॉर्थ इंडिया में उठा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. त्रिपुरा में बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर के प्रोटेस्ट कर रहे हैं तो वहीं असम में उग्र हुई भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस का सहारा ले रही है. नागरिकता बिल के पारित हो जाने के बाद पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों को इस बात का डर है कि इससे उनकी पहचान, भाषा और संस्कृति ख़तरे में पड़ जाएगी. यही कारण है कि वहां की जनता अब अपनी मांग को सड़कों पर उतर गई है.

त्रिपुरा में विरोध करते हुए लोग ( फोटो क्रेडिट - ANI )

नई दिल्ली:- एक तरफ जहां राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पास कराने के लिए पेश किया गया है, वहीं नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) के खिलाफ असम ( Assam) और त्रिपुरा (Tripura) समेत पूरे नॉर्थ इंडिया में उठा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. त्रिपुरा में बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर के प्रोटेस्ट कर रहे हैं तो वहीं असम में उग्र हुई भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस का सहारा ले रही है. नागरिकता बिल के पारित हो जाने

के बाद पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों को इस बात का डर है कि इससे उनकी पहचान, भाषा और संस्कृति ख़तरे में पड़ जाएगी. यही कारण है कि वहां की जनता अब अपनी मांग को सड़कों पर उतर गई है.

बता दें कि इंडीजीनस पीपल फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) सहित कई आदिवासी समूहों ने सोमवार को नागरिक संशोधन विधेयक के खिलाफ बंद का आयोजन किया था, जिसके चलते त्रिपुरा ट्राइबल एरिया ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल (टीटीएएडीसी) के क्षेत्रों में जनजीवन प्रभावित रहा. सड़क और रेल यातायात बुरी तरह प्रभावित हुए और हजारों यात्री बीच रास्ते में फंसे रहे, क्योंकि बंद समर्थक कार्यकर्ताओं ने त्रिपुरा और देश के बाकी हिस्सों के बीच चलने वाले वाहनों और ट्रेनों को आगे जाने से रोक दिया. वहीं त्रिपुरा में नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों के मद्देनजर मंगलवार दोपहर दो बजे से 48 घंटों के लिये इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं. यह भी पढ़ें:- नागरिकता संशोधन बिल पर संजय राउत का बयान, कहा- राज्यसभा में शिवसेना बदल सकती है स्टैंड.

त्रिपुरा में सड़कों पर उतरे लोग 

क्या है नागरिकता संशोधन बिल

नागरिकता संशोधन बिल में नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों को बदलने के लिए पेश किया जा गया है. लोकसभा के पिछले कार्यकाल के दौरान यह बिल निष्प्रभावी हो गया था. नागरिक संशोधन बिल कानून बन जाता है तो पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न के चलते आए हिन्दू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म को लोगों को सीएबी के तहत भारतीय नागरिकता मिल जाएगी. उन्हें CAB के तहत भारत की नागरिकता दी जाएगी.

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